ओम चिंचवणकर एक पेशेवर ग्राफ़िक डिज़ाइनर हैं जो पिछले १५ सालो से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों को ग्राफ़िक डिज़ाइन की सेवा प्रदान कर रहे हैं, इसी दौरान इन्होने कई सारे प्रचलित ब्रांड्स भी बनाये हैं और ऑन मार्क मीडिया नाम से शिक्षा संस्थान भी चलाते हैं। ग्राफ़िक डिज़ाइन क्षेत्र का सही ज्ञान भारत के कोने कोने तक पहुंच सके और सही शिक्षण प्राप्त कर छात्र और देश एक साथ प्रगति कर सके इस विचार से ग्राफ़िक डिज़ाइन सम्बंधित योग्य ज्ञान यूट्यूब के माध्यम से हिंदी भाषा में सिखाते है। “ग्राफ़िक डिज़ाइन हिंदी में बाय ओम” चैनल आप देख सकते हैं ।
ज्यादातर लोग कहते हैं ग्राफ़िक डिज़ाइन क्षेत्र में कोई भविष्य नहीं पर ये साफ़ साफ़ झूठ हैं, ये सिर्फ अधूरी जानकारी रखने वाले कुछ लोगों की सोंच हैं जिन लोगो को पता ही नहीं के असल में ग्राफ़िक डिज़ाइन होता क्या हैं, और ऐसी अधूरी जानकारी रखने वाले लोगों की तादात बहुत ज्यादा हैं और सारी दुनिया में हैं।
ग्राफ़िक डिज़ाइन दरअसल है क्या ?
ग्राफ़िक डिज़ाइन एक ऐसी कला हैं जिसमे आँखों को नजर आने वाली चीजों का इस्तेमाल करके Visual कोई मैसेज देना होता हैं, और ये कला आदिकाल से प्रचलित हैं, इंसान ने बोलना बाद में सीखा पर सबसे पहले उसने गुफा चित्रों (ग्राफ़िक्स) के माध्यम से सन्देश देना सीखा था ।
आज भी कई गुफाओ में उनके द्वारा बनाये गए चित्र मौजूद हैं जिनके माध्यम से उन्होंने कोई न कोई सन्देश हमें दिया है।
दोस्तों क्रिएटिव इस शब्द का अर्थ हैं अपनी कल्पना शक्ति के आधार पर ऐसी कोई चीज अस्तित्व में लाना जो कही और मौजूद नही हैं, पर आजकल गली मोहल्ले में ग्राफ़िक डिज़ाइनर पायरेटेड सॉफ्टवेयर के बेस पर अपनी “क्रिएटिव” एजेंसी खोल कर बैठे हैं और क्रिएटिव डिजाइन के नाम पर चोरी किये हुए या मॉडिफाई किये हुए डिजाइन लोगो को बेच रहे हैं।देखा जाये तो पैसा कमाने का इस से आसान रास्ता और क्या हो सकता हैं? यही सबकी सोच बन गयी हैं और इसी सोच के कारण हर कोई अपनी किस्मत इस क्षेत्र में आजमाने आ जाता हैं। और जैसा बाकी सब कर रहे हैं वही करने लग जाता हैं, लेकिन उसे बुरी तरह से हार का सामना करता हैं और फिर ग्राफ़िक डिज़ाइन क्षेत्र में कुछ नहीं कहने लग जाता है।
इस क्षेत्र में प्रतियोगिता इतनी बढ़ चुकी हैं कि कोई भी ठीक से कमा नहीं पा रहा हैं, यहाँ ज़्यादातर डिज़ाइनर्स ऐसा काम क्यों कर रहे हैं ये किसी ने सोचा ही नहीं, इसका कारण हैं सही शिक्षा उन्हें नहीं मिली, उन्हें सिर्फ ग्राफ़िक डिज़ाइन के नाम पर सिर्फ सॉफ्टवेयर सिखाये गए और कहा गया के गूगल से कुछ देख कर डिज़ाइन बनाना होता हैं और इसी का मतलब ग्राफ़िक डिज़ाइन हैं, तो इसी वजह से ये सारे डिज़ाइनर्स जाने अनजाने में इस तरह का काम करने लगे, और जैसा इन्होने सीखा वैसा ही आगे सिखाने भी लगे। अधूरा ज्ञान किसी भी क्षेत्र में घातक साबित होता है। और आज नहीं तो कल वह नुकसान ही पहुंचाता हैं।
ओम चिंचवणकर के ऑन मार्क मीडिया इस फर्म ने एक सर्वे किया जिसके मुताबिक यह पाया गया कि डिज़ाइनर्स सस्ते में डिज़ाइन इसलिए बेचते हैं क्यूंकि उन्हें पैसे क्लाइंट की तरफ से कम मिलते हैं, मतलब कम बजट और कम टाइम में उन्हें ज्यादा काम करना होता हैं, इसीलिए वो ज्यादा दिमाग लगाकर ओरिजिनल कुछ बना कर देने के बजाय जो पहले से मौजूद हैं वही चीजे इस्तेमाल करके थोड़ा अलग कुछ बना देते हैं और ग्राहकों को सस्ते में दे देते हैं और पैसे कमाते है। इन डिज़ाइनर्स का कहना हैं कि ग्राहक ज्यादा पैसे देता नहीं हैं तो हम बेवजह क्यों इतनी मेहनत करे? तो जैसा बजट होता हैं हम काम भी वैसा ही करके देते हैं, क्यूंकि प्रतियोगिया से भरे इस क्षेत्र में हमें बने रहना हैं और जीना है।
ये एक ऐसा प्रश्न हैं जिसे डिज़ाइनर और ग्राहकों की समझदारी से सुलझाया जा सकता हैं, पर ऐसा होता नही क्यूंकि न तो डिज़ाइनर्स की कोई कम्युनिटी हैं और न ही ग्राहकों की। पर अब ओम चिंचवणकर बहुत जल्द इसका एक उपाय लेकर आने वाले है।
ये डिज़ाइनर्स अगर कुछ ओरिजिनल बनाते भी हैं तो वो क्लाइंट को पसंद नहीं आता, क्यूंकि क्लाइंट्स भी ऐसे हैं जिन्हे ग्राफ़िक डिज़ाइन का असली मतलब ही नहीं पता उन्हें लगता हैं कि डिज़ाइनर को इतना पैसा देना ही क्यों जबकि वो सिर्फ गूगल पर देख कर डिज़ाइन मुझे देने वाला है? तो ऐसे में जो क्लाइंट्स हैं जिन्हे ग्राफ़िक डिज़ाइन का मतलब नहीं पता वो दूसरो को कहते हैं कि ग्राफ़िक डिज़ाइन में कोई कैरिअर नहीं ।
यहाँ पर एक बात सोचने जैसी मजेदार बात यह हैं कि जिन डिज़ाइनर्स को सही शिक्षा ही नहीं मिली वो कैसे कोई ओरिजिनल और अच्छा डिज़ाइन बना सकते हैं? और जो भी बनाएंगे वो किस आधार पर क्लाइंट को पसंद आएगा? जबकि क्लाइंट को खुद को पता नही की असल में ग्राफ़िक डिज़ाइन होता क्या हैं ?
इन सारी बातो का कारण सिर्फ और सिर्फ अधूरा ज्ञान हैं, डिज़ाइनर्स और क्लाइंट्स दोनों इस बात से अनजान इसलिए हैं क्यूंकि कॉपीराइट जैसी चीज के बारे में उन्हें कोई जानकारी नही हैं, इन्हे लगता हैं कि कुछ नही होता और अगर हुआ तो देख लेंगे या भाग जाएंगे।
कॉपीराइट के बारे में आपको तब जानकारी होगी जब आप The Copyright Act 1957 को ध्यान से पढ़ेंंगे।
चोरी या मॉडिफीय किया हुआ डिज़ाइन क्लाइंट और डिज़ाइनर को कितना महंगा पड़ सकता हैं ये आप को तब पता चलेगा जब आप
“Tokyo Olympic Kenjiro Sano Case ” को ध्यान से पढ़ेंंगे।
कुछ क्लाइंट के एंगल से देखा जाए तो उन्हें भी ग्राफ़िक डिज़ाइन का महत्व ज्यादा पता नहीं हैं और वो कॉपीराइट क्लेम्स को लेकर इतने गंभीर नहीं हैं, एक खराब डिज़ाइन इनका बिज़नेस डुबा सकता हैं इसकी इनको भनक तक नहीं हैं, इसलिए कुछ कुछ क्लाइंट्स डिज़ाइनर को आकर बेझिजक कहते हे कि इसका डिज़ाइन लो थोड़ा उसका लो और मेरे लिए कुछ नया बना कर दे दो।
देखिये एक अच्छा डिज़ाइन यानि अच्छा बिज़नेस, आप भी अगर कोई चीज खरीदते हो तो आप उसका डिज़ाइन देख कर खरीदते हो, अगर डिज़ाइन दिखने में अच्छा नहीं हैं या आपको पसंद नहीं आता तो वो आप खरीदते नहीं हैं, तो फिर खुदके बिज़नेस के डिज़ाइन आप क्यों ऐसा बनवाते हो जो किसी और के डिज़ाइन से मिलता जुलता हैं ? एक बिज़नेस मैन होने के नाते कभी आपने इसके फायदे नुकसान के बारे में सोचा?
एक छोटा सा उदाहरण,
मान लीजिये आपका रियल एस्टेट का बिज़नेस हैं और उसके लिए आपको एक लोगो चाहिए लेकिन कम वक्त में और कम पैसे में और आपने बिना सोचे समझे किसी डिज़ाइनर को लोगो बनाने के लिए कहा और उस डिज़ाइनर ने पैसे और वक्त दोनों कम मिलने के कारण गूगल से कोई लोगो उठाया और आपको बेच दिया।
आपने वो लोगो अपने बिज़नेस के लिए इस्तेमाल किया, उसके बेस पर मार्केटिंग की, बहुत मेहनत करके बिज़नेस खड़ा किया। अच्छी इनकम होने लगी और अचानक आप पर किसी का कॉपीराइट लग गया और उन्होंने आप पर जुर्माना लगा दिया या नाम बदल कर बिज़नेस करने को कह दिया तो? आपको फिरसे पहले से शुरुआत करनी होगी क्यूंकि आपने और आपके डिज़ाइनर ने जिस तरह की सोच रख कर एक डिज़ाइन बनाया था, वैसे ही सोच रखने वाले करोडों दुनिया में लोग मौजूद हैं और किसी न किसी ने पहले से ही वो लोगो रजिस्टर करके रखा था, इसीलिए बिना जांच किये कोई भी डिज़ाइन इस्तेमाल करना बिज़नेस के लिए हानिकारक है।
ग्राफ़िक डिज़ाइन की सही शिक्षा और मार्गदरशन के लिए “ग्राफ़िक डिज़ाइन हिंदी में बाय ओम” इस चैनल से जुड़े।
अगर भारतीय डिज़ाइनर्स सही मार्गदशन प्राप्त करके ओरिजिनल डिज़ाइन दुनिया में बेचने लगे तो सारी दुनिया भारत के डिज़ाइनर्स को अपना काम देगी और ढेर सारा पैसा हमारे देश में आएगा और सबका भला होगा यही ओम चिंचवणकर का कहना है और इसी दिशा में वह लोगों को प्रेरित करने का वह दिन रात प्रयास कर रहें हैं ।