बाड़मेर /राजस्थान – बाड़मेर जिले में सूचना का अधिकार अधिनियम कुछ लोगों के लिए आजकल सरकारी अधिकारियों पर नाजायज कार्याे के लिए दबाव बनाने का हथियार बनता जा रहा है।सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी सूचना का अधिकार (आरटीआई) एक्ट के दुरुपयोग पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह कानून ब्लैकमेलिंग का धंधा बन गया है। कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जब आरटीआई कानून का इस्तेमाल लोगों को अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए धमकाने या डराने के लिए किया जाता है। हाईटेक प्रणाली में इसका दूर दराज़ के ग्रामीण क्षेत्रों में दुरुपयोग रोकने के लिए दिशानिर्देश बनाए जाने की सख्त जरूरत है।
देश में भर में वर्ष 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम लागू हुआ। इसके तहत आम नागरिकों को यह अधिकार दिया गया कि वे अधिनियम के तहत विभिन्न सरकारी महकमों से संबंधित योजनाओं, उनके क्रियान्वयन व प्रगति के संबंध में जानकारी हासिल कर सकते हैं। अधिनियम को प्रभावी बनाने के लिए तहसील स्तर पर विभिन्न विभागों के अधिकारियों को विभागीय सूचना अधिकारी बनाया गया। यूं तो अधिनियम लागू होने के बाद इसके कुछ सार्थक परिणाम भी सामने आए। फलस्वरूप कई विभागों में व्याप्त अनियमितताओं का खुलासा भी हुआ है। लेकिन कई लोगों ने आजकल अधिनियम को स्वार्थ पूर्ति के लिए हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू करना शुरू कर दिया। ऐसे लोग कई बार विभागीय सूचना अधिकारियों से अधिनियम के तहत ऐसी सूचनाएं भी मांगते हैं जिनसे जनहित का कोई सरोकार नहीं होता है। दरअसल इस तरह की सूचनाएं अधिकारियों को महज परेशान करने के उद्देश्य से मांगी जाती है। ताकि बाद में सूचना आयोग जयपुर में अपील वापस लेने के नाम पर मनमाने कार्य कराए जा सकें। तेजी से बढ़ी रही इस प्रवृति से बाड़मेर जिले के ग्रामीण विकास विभागीय अधिकारी आजकल खासे परेशान दिख रहे हैं। हालांकि अधिनियम की बाध्यता के कारण वे चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते हैं लेकिन इनके द्वारा ही फलने फूलने वाले पोषित पौधे ने आज जहरीले साप की तरह इन्हें ही फुफकार रहा हैl
एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सूचना के अधिकार में अपील करने वाला व्यक्ति अपनी अपील वापस लेने के नाम पर धन की मांग करता है तो वह व्यक्ति सूचना के अधिकार कानून का दुरूपयोग करता है ओर उसकी पूर्ति करने से दिनोदिन भ्रस्टाचार को बढ़ावा मिलता है l
सूचना का अधिकार कानून के बहाने अपनी निजी मागे पूरी नहीं होने पर आवेदन करने वाले सूचना आयोग जयपुर में अपील करते हैं और अपील पर सुनवाई करने के लिए आयोग द्वारा नोटिस जारी किया जाता है तब दोनों ही पार्टी आपसी लेनदेन करके राजीनामा कर लेते हैं ओर सूचना आयोग का समय खराब होता है इस प्रकार के कई मामलों में दोनों ही पार्टी को जमकर लताड़ पिलाई गईं और मामले में दी गई सूचना के अधिकार कानून के तहत् नक्कलो को सूचना आयोग ओर सम्बंधित विभाग के सूचना पट्ट पर लगाने के निर्देश दिए गए थे ओर भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न हो इस सम्बन्ध में चेताया गया था ।
– राजस्थान से राजूचारण