पीएम मोदी के केदारनाथ दौरे से पूर्व उत्तराखंड सरकार की बढ़ी मुश्किलें: नाराज़ पुरोहितों को मनाने में जुटे सीएम

देहरादून- अगामी 5 नवंबर के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ दौरे के कार्यक्रम को लेकर उत्तराखंड में सरगर्मियां तेज़ हो गई हैं जहाँ एक ओर इस कार्यक्रम को हिट करने के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताक़त झौंक दी हैं और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री के दौरे से पुर्व केदारनाथ की तैयारियों पर पूरा ध्यान केंद्रित किया हुआ है। लेकिन दूसरी तरफ़ तीर्थ पुरोहितों के विरोध के चलते राज्य सरकार की नींद भी उड़ी हुई है।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत प्रकरण व उनके विरोध के बाद से केदारनाथ में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सुरक्षा एजेंसियां भी अलर्ट हो गई हैं, यहाँ तीर्थ पुरोहितों के भारी विरोध को देखते हुए राज्य सरकार पुरोहितों को मनाने में जुटी हैं ऐसे में सरकार प्रधानमंत्री के दौरे से पहले ही डेमेज कंट्रोल में जुट गई है। मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ पहुंचकर तीर्थ पुरोहितों से बातचीत की है लेकिन उधर पुरोहितों का दावा है कि सरकार उनसे 30 नवंबर तक का वक़्त मांग रही है।बता दें कि ‘केदारनाथ पुर्ननिर्माण’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है जिसे PMO ने भी गंभीरता से लिया हुआ है, अब प्रधानमंत्री मोदी आगामी 5 नवंबर को केदारनाथ पुर्ननिर्माण के कार्यों व आदि शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण करने यहाँ आ रहे हैं जिस के लिए पूरी तैयारियां की जा रही है। उत्तराखंड राज्य सरकार ने चुनावी वर्ष में इस कार्यक्रम को हिट करने हेतु पूरी ताक़त झोंक दी है यहाँ तक कि देशभर में भी इसका सीधा प्रसारण किया जाएगा। इस कार्यक्रम के माध्यम से बीजेपी आगामी चुनाव में हिंदुत्व कार्ड को लेकर अपनी रणनीति पर ध्यान केंद्रित कर रही है।इन सब गतिविधियों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के केदारनाथ दौरे से भाजपा को बड़ा झटका लगा है, यहाँ त्रिवेंद्र रावत को स्थानीय पुरोहितों ने ‘बाबा’ के दर्शन नहीं करने दिए, यहाँ देवस्थानम बोर्ड को लेकर पुरोहित वर्ग आंदोलनरत है। पुरोहितों ने प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान भी विरोध करने की बात की जा रही है। हालांकि सुरक्षा ऐजिसियां अपने स्तर से पूरी तैयारियों में जुटी है अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूरे कार्यक्रम को सफ़ल बनाने के लिए स्वयं मोर्चा संभाल लिया है, उनके द्वारा पुरोहितों से संवाद करने की बात की जा रही है, लेकिन जिस तरह पुरोहितों द्वारा भारी विरोध किया जा रहा है इससे बीजेपी सरकार बैकफुट पर आ सकती है और आने वाले दिनों में देवस्थानम बोर्ड को लेकर सरकार कोई बड़ा निर्णय ले सकती है जो कि गैरसेंण में होने वाले शीतकाल सत्र में सरकार निर्णय ले सकती है, हालांकि बीजेपी हाईकमान भी बोर्ड को लेकर गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है लेकिन किसी ज़ल्दबाज़ी में भी कोई फैसला नहीं लेना चाहती है। वहीं दूसरी ओर विपक्षी पार्टी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी देवस्थानम बोर्ड को लेकर विरोध तेज़ कर चुके हैं और आगामी चुनाव में बोर्ड के इस मुद्दे को दोनों ही विपक्षी दल इस अवसर को भुनाने में कोई क़सर शेष नहीं है।

– सहारनपुर से सुनील चौधरी

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