लखनऊ।उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दल अपने अपने चुनावी मोहरे की चलने में जुटे है।कही डबल इंजन की सरकार तो,कही अब्बाजान और चचाजान कह कर शब्दों के तीर चल रहे है।कोई भी दल कोई कोर कसर नही छोड़ना चाहता है।यूपी 2022 विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और डॉ संजय निषाद की निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल ने मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।माना जा रहा है कि इससे उत्तर प्रदेश की सियासी तस्वीर बदल सकती है।
आपको बता दें कि विधानसभा की लगभग 160 से ज्यादा सीटों पर निषाद, केवट और मल्लाह जातियों के वोटर बड़ी संख्या है।इन सीटों पर निषाद वोट वोटर किसी भी राजनैतिक दल की हार और जीत में निर्णायक भूमिका निभा सकते है।यही वजह है कि भाजपा, सपा सहित प्रदेश के सभी दल निषादों से जुड़े छोटे दलों को अपने साथ जोड़ने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं।
शुक्रवार को भाजपा ने बाजी मारते हुए डॉ संजय निषाद के साथ गठबंधन कर समाजवादी पार्टी,बहुजन समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का बल्ड प्रेशर को बढ़ा दिया है।प्रदेश में निषाद,मल्लाह, बिंद, कश्यप और केवटों की 153 उपजातियां रहती हैं। गोरखपुर, संतकबीरनगर, महराजगंज, कुशीनगर, बलिया, गाजीपुर, जौनपुर, भदोही, कौशांबी, चित्रकूट, मीरजापुर, सीतापुर, बहराइच और खीरी सहित पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य और बुंदेलखंड के 18 से अधिक जिलों में इनकी काफी बड़ी आबादी है।
इन जिलों की 160 से ज्यादा ऐसी विधानसभा सीटें हैं,जहां निषाद समाज का साठ हजार से लेकर एक लाख तक वोटर है।इनकी ताकत का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2016 में निषादों की लड़ाई के लिए मैदान में उतरी निषाद पार्टी ने एक साल बाद ही यानी 2017 में विधानसभा की दो सीटें जीती थी और पार्टी को विधानसभा चुनाव में तकरीबन साढ़े पांच लाख वोट मिले थे। सन 2016 में निषादों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर डॉ संजय निषाद ने निर्बल इंडियन शोषिक हमारा आम दल निषाद पार्टी का गठन किया। निषाद पार्टी कुछ दिनों तक यूपी में केवटों की सर्वमान्य पार्टी रही, लेकिन आज ऐसा नहीं है। वर्तमान में राष्ट्रीय महान गणतंत्र पार्टी, फूलन सेना, नवलोक पार्टी, निषाद सेना, राष्ट्रीय एकलब्य सेना, भारतीय मानव सेना पार्टी और सर्वदलीय निषाद-केवल संघ जैसे संगठन निषादों के बीच अच्छी पैठ बना चुके हैं।निषादों में अच्छी पैठ रखने वाली फूलन देवी के पति उपेंद्र कश्यप की देखरेख में गठित जलवंशी मोर्चा भी यूपी में आ चुका है। इन सब के साथ बिहार में राजनीति करने वाली पार्टियां वीआईपी पार्टी भी यूपी में अपनी आमद दर्ज करवा चुकी हैं। निषाद जातियों की राजनीति करने वाले सभी दल वर्तमान में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलित हैं। उनकी मांग है कि निषाद समुदाय की जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया जाए।