संगमरमरी वादियों के बीच धुआंधार के नैसर्गिक संगीत की धुन में हुआ ऐतिहासिक योग

*आज़ादी के अमृत महोत्सव में देश के 75 महत्वपूर्ण विरासत स्थलों में से एक के रूप में हुआ चयन लाया रंग

मध्यप्रदेश /जबलपुर। सात सुरों का इंद्रधनुष खिलाते हुए गरुण बैंड के अनिंद्य जोशी ने जोश का संचार किया, तो दूसरी ओर आर्ट ऑफ लिविंग की कोकिल कंठी सुमधुर साधिका रीना महोबिया ने नारायन भजन की तान छेड़ी। कलकल निनादिनी सिद्धिदात्री मां नर्मदा का तट। विश्वप्रसिद्ध संगमरमरी वादियों से घिरा भेड़ाघाट। धुंआधार जलप्रपात का नैसर्गिक संगीत। इसकी रिदम के साथ ताल में ताल मिलाता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का परचम लहरा चुका योग। इसी योग का अभिनव प्रदर्शन प्रत्येक दर्शक के मन को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। आर्ट ऑफ लिविंग के योग ट्रेनर ओशो रजनीश की साधना स्थली योगेश भवन, नेपियर टाउन निवासी रितुराज असाटी, नवीन बरसैयां, डॉ. प्रमोद चैतन्य, दीप्ति थापा जैसे सधे हुए योग प्रशिक्षको का मार्गदर्शन योग की गहराई में डुबो रहा था। अवसर था- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से भारत की आजादी के 75 वर्ष के उपलक्ष्य में अमृत महोत्सव अंतर्गत भारतीय संस्कृति और विरासत के गौरव का भी उत्सव मनाने का।वस्तुत: योग हमारी सनातन विरासत का वह अंग है, जिसकी वजह से भारत आज भी विश्वगुरु है| इसी भावना के साथ केंद्रीय संस्कृति व पर्यटन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल के नेतृत्व व मार्गदर्शन में योग की विरासत को आजादी के 75 वें वर्ष के उत्सव के साथ जोड़ते हुए सोमवार, 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर देश के 75 महत्वपूर्ण विरासत स्थलों पर योग के कार्यक्रम आयोजित हुए। इसी कड़ी में जबलपुर के पास भेडाघाट में माँ नर्मदा के धुआंधार जलप्रपात के समीप योग किया गया।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर, भारत पर्यटन (पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार) और जिला प्रशासन के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में बरगी विधायक संजय यादव, कलेक्टर कर्मवीर शर्मा, सीइओ रिजू बाफना, पुरातत्व अधीक्षक डॉ.सुजीत नयन, निदेशक डॉ.दीपक खिरवडकर उपिस्थत रहे। ययोग का श्वासंरोधक प्रदर्शन हुआ।। इस कार्यक्रम का सजीव प्रसारण दुनिया भर में हुआ।

केंद्रीय संस्कृति व पर्यटन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल ने अनुसार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस प्रतिवर्ष 21 जून को मनया जाता है। यह दिन साल का सबसे लंबा दिन होता है और योग भी मनुष्य को दीर्घायु प्रदान करता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 सितम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में कहा था कि योग भारत की प्राचीन परम्परा का एक अमूल्य उपहार है। यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है। मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है; विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है।साथ ही स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन- शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। तो आयें एक अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं। जिसके बाद 21 जून को “अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस” घोषित किया गया। 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को “अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस” को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली।योग से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य वर्धन होता है।शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। ये सभी रंग रेवा किनारे साकार हुए।

अभिषेक रजक संवाददाता ,जबलपुर

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