दरगाह आला हजरत पर मनाया गया उर्स-ए-रहमानी

बरेली। दरगाह आला हजरत के पूर्व सज्जादानशीन मुफ्ती रेहान रजा खान (रहमानी मियां) का 37वां रोजा उर्स-ए-रहमानी शनिवार को दरगाह आला हजरत पर मनाया गया। उर्स की रस्म कोविड 19 की गाइडलाइन के अनुसार दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खान (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी (अहसन मियां) की सदारत में अदा की गयी। चंद उलेमा की मौजूदगी में दरगाह के अंदर मिलाद शरीफ का कार्यक्रम हुआ। मुफ्ती सलीम नूरी ने कहा कि कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते देश संकट से गुजर रहा है। उन्होंने मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि शरई दायरे में रहकर आपसी भाईचारे को मजबूत करने का समय है। ख्वाजा गरीब नवाज, साबिर-ए-पाक, वारिस-ए-पाक और आला हजरत ने अपने दरवाजे न सिर्फ मुसलमानों के लिए बल्कि सभी मजहब हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाइयों के लिये बिना किसी भेदभाव के खोले थे। समाज में इस्लाम की सही तस्वीर पेश करने का ये सही मौका है। हम अपने मजहबी रस्म-ओ-रिवाज और दूसरे मजहब के लोग अपने रस्म-ओ-रिवाज अपनाते हुए लोगों की दिल खोलकर मदद करे। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने चीनी हुकूमत द्वारा मुसलमानों पर हो रहे जुल्म का विरोध करते हुए कहा कि चीनी फौजों द्वारा तरह-तरह की मजहबी पाबंदी लगा दी गयी है। जबकि मुसलमानों का हमदर्द देश पाकिस्तान इस मामले पर खामोश है। दरगाह के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि रेहान-ए-मिल्लत के कुल शरीफ की रस्म सुबह नौ बजकर अठावन मिनट पर अदा की गई। गौरतलब है कि दरगाह पर होने वाले इफ्तार में देश भर के अकीदतमंद शामिल होते थे लेकिन इस बार सीमित संख्या के उलेमा के बीच दरगाह प्रमुख सुब्हानी मियां और अहसन मियां ने रोजा इफ्तार किया। इस मौके पर मुफ्ती अनवर अली, मुफ्ती सय्यद शाकिर अली, शाहिद नूरी, हाजी जावेद खान, परवेज नूरी, औरंगजेब नूरी, अजमल नूरी, ताहिर अल्वी, तारिक सईद, गौहर खान समेत अन्य लोग मौजूद रहे।।

बरेली से कपिल यादव

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