प्राकृतिक संसाधनों का भंडार और पर्याप्त जल व ऊर्जा के स्रोत किसी भी राष्ट्र की सम्पन्नता के प्रतीक

ऋषिकेश/उत्तराखंड- उर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने ‘सेव एनर्जी सेव लाइफ’ का संदेश देते हुये कहा कि ऊर्जा का संरक्षण अर्थात जीवन का संरक्षण। ऊर्जा का संरक्षण कर ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन में तो वृद्धि हो रही है उसेे काफी हद तक कम किया जा सकता है। हम अपने दैनिक जीवन में जिस वेग से ऊर्जा का संरक्षण करेंगे उसी वेग से हम अपने प्राकृतिक संसाधनों को बचा सकते हैं। भारत में हो रही जनसंख्या में वृद्धि के कारण भी ऊर्जा की आवश्यकतायें बढ़ रही है, अगर अब भी ऊर्जा संरक्षण की दिशा में प्रयास नहीं किये गये तो बहुत देर हो जायेगी।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि ऊर्जा के उपभोग को कम करने के लिए श्रेष्ठ नीतियों और रणनीतियों के अलावा प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक करना होगा, तभी भावी पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित रह सकता है तथा सतत विकास लक्ष्यों को भी हासिल किया जा सकता है। व्यक्तिगत स्तर पर हम ऊर्जा का संरक्षण कर देश के विकास में योगदान प्रदान कर सकते है।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में जिस वेग से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जा रहा है वह वैश्विक चिंतन का विषय है। महात्मा गांधी जी ने कहा था कि ‘पृथ्वी पर हर आदमी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्राकृतिक संसाधन है, लेकिन हर आदमी के लालच को नहीं’। पर्यावरणविदों का मानना है कि जिस वेग से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जा रहा है उससे लगता है कि ऊर्जा, जल सहित अन्य प्राकृतिक संसाधन केवल 40 से 50 वर्षों तक साथ दे सकते हैं। अगर प्रत्येक व्यक्ति अपने विवेक और जरूरतों के आधार पर वस्तुओं का इस्तेमाल करना शुरू करें तो काफी हद तक समस्याओं को समाधान किया जा सकता है।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का भंडार और पर्याप्त जल व ऊर्जा के स्रोत किसी भी राष्ट्र की सम्पन्नता के प्रतीक है इसलिये प्रत्येक मनुष्य को चाहिये की वह अपनी दिनचर्या, प्रकृति और पर्यावरण के अनुकुल रखें। ऊर्जा संरक्षण की दिशा में किया गया समेकित प्रयास विलक्षण परिवर्तन ला सकता है। ऊर्जा की खपत को कम कर उसे भविष्य के लिये बचाया जा सकता इसलिए, प्रत्येक व्यक्ति को अपने व्यवहार में ऊर्जा संरक्षण को शामिल करना चाहिए। आईये अपनी दैनिक गतिविधियों में थोड़ा-थोड़ा परिवर्तन कर ऊर्जा संरक्षण की दिशा में योगदान प्रदान करें।

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