कट-ऑफ मामले में शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, 37,339 पदों पर नियुक्ति का रास्ता साफ

दिल्ली/बरेली। उत्तर प्रदेश में 69 हज़ार शिक्षक भर्ती के कट ऑफ मामले में 37 हजार 339 पदों की भर्ती को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने सरकार के मौजूदा कटऑफ को सही ठहराया है और शिक्षामित्रों की सभी याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के इस वक्तव्य को रिकॉर्ड पर लिया कि नए कटऑफ की वजह से नौकरी से वंचित रह गए शिक्षामित्रों को अगले साल एक और मौका दिया जाएगा। इस फैसले से अब कुल 67867 अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। इनमें से 31,277 पदों पर अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जा चुकी है। अब 37,339 पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति होगी। न्यायमूर्ति यू यू ललित की बेंच ने फैसले में कहा कि शिक्षा मित्रों को अगली भर्ती परीक्षा में भाग लेने के लिए एक आखिरी मौका दिया जाएगा और उसके तौर-तरीकों को राज्य सरकार तय करेगी। इस मामले में कोर्ट ने 24 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। यूपी सरकार ने पिछले साल 7 जनवरी को अधिसूचना जारी करते हुए आरक्षित और अनारक्षित श्रेणियों के लिए कट-ऑफ अंक बढ़ाकर क्रमश: 65 और 60 कर दिया था। इसकी वजह से 32,629 शिक्षा मित्र अभ्यर्थी बाहर हो गए। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कट-ऑफ बढ़ाने के राज्य सरकार के फैसले को सही ठहराया था। शिक्षामित्रों का कहना है कि जो भी योग्य शिक्षामित्र 45/40 से ज्यादा अंक हासिल करते हैं, उन्हे भारांक देकर नियुक्ति दी जाए, लेकिन सरकार ने 2019 की परीक्षा में कट-ऑफ अंक बढ़कर 65/60 कर दिए जिससे 32,629 शिक्षामित्र उम्मीदवार बाहर हो गए। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के जिला प्रभारी कपिल यादव ने कहा कि कोर्ट से शिक्षा मित्रों को पूरी उम्मीद थी कि पक्ष में आदेश आएगा, परन्तु ऐसा नही हुआ। संघ यूपी सरकार से मिल कर शिक्षा मित्रो के भविष्य सुरक्षित करने का आग्रह करेगा।।

बरेली से कपिल यादव

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