नौकरी का झांसा देने वाली बारह युवतियां परिजनों के सुपुर्द, मुख्य आरोपी भेजा गया जेल

बरेली। नौकरी देने का झांसा देकर लोगों से ठगे करने वाली कॉल सेंटर की 12 युवतियों को पुलिस बुधवार को उनके परिजनों को सुपुर्द कर दिया। पुलिस ने बताया है कि युवतियों को ठगी के बाबत कोई जानकारी नहीं थी। क्योंकि इंटरव्यू लेने का काम प्रशांत का था। बारादरी पुलिस ने रोहिलखंड यूनिवर्सिटी के पास डोहरा मोड पर एक फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया था। यहां से पुलिस ने 12 युवतियों को हिरासत में लिया था जबकि कॉल सेंटर का संचालक मौके से फरार हो गया था। जिस वजह से पुलिस दो दिन तक मुकदमा दर्ज नहीं कर पाई। इस मामले में पुलिस ने मंगलवार की रात कॉल सेंटर संचालक प्रशांत को गिरफ्तार कर लिया था। प्रशांत से पूछताछ में पता चला कि नौकरी डॉट कॉम वेबसाइट के फर्जी कॉल सेंटर तैयार करके बेरोजगार लोगों को नौकरी देने के नाम पर 2000 रुपये जमा करवाते थे। झांसा दिया जाता था कि अगर वे टेलीफोन पर इंटरव्यू में सिलेक्ट हो जाते हैं। उन्हें जॉब मिल जाएगी और फीस वापस कर दी जाएगी। आरोपी को उसके बाद बुधवार को उसे जेल भेज दिया गया। एएसपी अभिषेक वर्मा ने बताया कि कॉल सेंटर में काम करने वाली सभी युवतियों को बुधवार को उनके परिजनों के हवाले कर दिया गया। पुलिस को बताया कि उन्हें जांच में पता चला कि इस पूरे फर्जीवाड़े के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। जिस वजह से उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है।
दूसरा कॉल सेंटर चलाने वाले कृष्णा से पूछताछ जारी
बीसलपुर रोड पर सोमवार को फर्जी कॉल सेंटर पर पुलिस ने छापा मारकर बड़ा खुलासा किया था। इस मामले में पुलिस ने जब कॉल सेंटर के मास्टरमाइंड संभल के प्रशांत को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद पास में ही चल रहे प्रशांत के बदायूं के बिसौली निवासी दोस्त कृष्णा के दूसरे फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा हुआ था। जिस पर पुलिस ने छापा मारा तो वहां ताला लगा मिला था। इस मामले में पुलिस ने देर रात कृष्णा को भी दबिश देकर गिरफ्तार कर लिया था। अब पुलिस कृष्णा से पूछताछ कर रही है। कृष्णा को गुरुवार को जेल भेजा जाएगा।
सेन्टर किराए पर देने वाले मालिक पर भी हो सकती है कार्रवाई
बीसलपुर चौराहा स्थित पशुपति विहार कॉलोनी निवासी दशरथ गिरी विश्वविद्यालय से कनिष्ठ सहायक पद से रिटायर्ड है। उन्होंने ही प्रशांत को कॉल सेंटर खोलने के लिए सेन्टर किराए पर दिया था। जिसका 55 सौ रुपए प्रतिमाह कराया था। जिसका न तो किरायानामा लिखवाया गया था और न ही पुलिस वेरिफिकेशन कराया गया था। इसी लापरवाही पुलिस प्रशासन समेत जिले वासियों के लिए भारी भी पड़ सकती थी।
गाजियाबाद और नोएडा तक जुड़े हैं तार
इंस्पेक्टर बारादरी ने बताया कि दोनों फर्जी कॉल सेंटरों के तार गाजियाबाद और नोएडा तक जुड़े हैं। दोनों काल सेंटरों को डाटा देने और नौकरी के जरूरतमंद का ब्यौरा और उसको स्टेटस देने के मामले में करीब एक दर्जन लोगों के नाम सामने आ रहे हैं। पुलिस ने बताया कि सभी लोग बड़े कॉल सेंटरों के कर्मचारी है। जल्द ही पुलिस इन आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश गाजियाबाद और नोएडा में देगी।

युवतियों से अलग अलग कर पूछताछ की जा चुकी है। उन्हें ठगी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। प्रशांत से भी पूछताछ में यही सामने आया है। युवतियों को उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है। प्रशांत को जेल भेजा गया है।
-अभिषेक वर्मा एएसपी

बरेली से कपिल यादव

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