आयुष प्रदेश में आयुष सचिव के आदेश को किया जा रहा है नजरअंदाज

उत्तराखंड/देहरादून – क्या कहा जाए जब आयुष प्रदेश में ही आयुष सचिव के आदेश को जिला प्रशासनों द्वारा महत्व न दिया जाए या फिर आयुष सचिव के आदेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए, ऐसा ही कुछ आयुष प्रदेश के नाम से विख्यात उत्तराखंड प्रदेश में देखने को मिल रहा है। जिससे कि आयुष चिकित्सकों एवं कर्मचारियों, आयुष चिकित्सालयों एवं आयुष रक्षा कार्यक्रमों के हाल बेहाल हैं।

राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ (पंजीकृत) के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ० डी० सी० पसबोला द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि आयुष सचिव दिलीप जावलकर द्वारा एक आदेशपत्र संख्या: 137/XL-1/2020-26/2020, दिनांक: 24 जुलाई 2020 प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों को प्रेषित किया गया है। जिसकी प्रतियां सचिव, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उत्तराखंड शासन, निदेशक, आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं, उत्तराखंड, देहरादून, निदेशक, होम्योपैथिक चिकित्सा सेवाएं, उत्तराखंड, देहरादून, एवं समस्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी, उत्तराखंड, देहरादून को भी प्रेषित की गयी है।

इस पत्र में आयुष सचिव द्वारा समस्त जिलाधिकारियों को अवगत कराया गया है कि एलोपैथिक विभाग द्वारा आयुष विभाग के चिकित्सकों एवं कर्मचारियों की तैनाती कई चेक पोस्टों, क्वारंटाइन सेंटर्स, कोविड केयर हास्पिटल्स, आइसोलेशन सेंटर्स आदि इत्यादि हेतु की गयी है। इस तरह से उक्त चिकित्सकों एवं कार्मिकों की तैनाती कोविड 19 में होने के कारण आयुष रक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत जन सामान्य हेतु आयुष रक्षा किट के प्रचार-प्रसार एवं वितरण में अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

जिन चिकित्सकों एवं कार्मिकों की आवश्यकता न हो उन्हें उनके मूल विभाग में प्रत्यावर्तित करने तथा एलोपैथिक एवं आयुष विभाग के चिकित्सकों एवं कार्मिकों की तैनाती में आवश्यक संतुलन बनाए रखने निर्देश भी दिए गए हैं, जिससे कि सभी चिकित्सा अधिकारियों एवं कार्मिकों Exposure Risk एवं आवश्यक Rest Hours का ध्यान रखा जा सके।

किंतु बड़े ही खेद की बात है कि न तो इस आदेश के जारी होने से पहले इस तरह से ड्यूटी रोस्टर बनाये गये और न ही इस आदेश के जारी होने के 6-7 दिन बाद ही कोई कार्यवाही की गयी है। जिससे कि आयुष चिकित्सकों एवं कार्मिकों को Rest Hours न मिल पाने के कारण उनके Exposure Risk बढ़ता ही जा रहा है एवं कोरोना ड्यूटी समाप्ति पर कार्यमुक्त चिकित्सकों एवं कार्मिकों को अब आवश्यक 07 दिन का होम क्वारंटाइन भी नहीं दिया जा रहा है। जिससे कि उनके सीधे अपनी मूल नियुक्ति पर भेज दिए जाने से उस क्षेत्र में भी Exposure का खतरा होने संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। यहां तक कि किसी-किसी आयुष चिकित्सालय के समस्त चिकित्सक एवं फार्मासिस्ट एवं अन्य कार्मिकों की कोरोना ड्यूटी लग जाने के कारण उन आयुष चिकित्सालयों में चिकित्सा कार्य भी बाधित हो रहा है, जिससे कि कई सुगम क्षेत्रों के साथ-2 दुर्गम क्षेत्रों की जनता को स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पा रहा है।

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