पटना- आम आदमी पार्टी, बिहार के प्रदेश मीडिया प्रभारी, बबलू प्रकाश ने कहा, केंद्र सरकार और बिहार सरकार, के विकास के एजेंडे में “किसान-मजदूर” नामक प्राणियों के लिए कोई संवेदना नहीं दिख रही हैं, संवेदना एक नाम पर सिर्फ भाषण है, अगर संवेदना होती तो अब तक प्रकृति आपदा से तवाह बिहार के किसानों का बैंक कर्ज अब तक माफ करें देती बिहार सरकार। चंपारण सत्याग्रह का आज 101 वर्ष पूरे हुए लेकिन देश के किसानो की दुर्दशा देख “बापू” की आत्मा, रो रही होगी।
बबलू प्रकाश ने कहा, वर्ष 1917 के 10 अप्रैल को गांधी पटना आए और चंपारण जाकर, हजारों भूमिहीन मजदूर एवं गरीब किसानो को अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार व ‘नील के धब्बों’ से मुक्ति दिलाई थी। बिहार और आज़ाद भारत में, आर्थिक रुप से गुलाम किसानो की समस्या वही मुँह बांये खड़ा हैं, जो एक सौ एक वर्ष पूर्व थी। किसानो के लिए खेती किसानी घाटे का सौदा साबित हो रही हैं और यही किसानी के संकट का मूल कारण हैं विडम्बना हैं की खेती किसानी में लागत निरंतर बढती जा रही हैं और श्रम मूल्य को घटाया जा रहा हैं, इस कारन किसान कर्ज लेकर खेती करने को मजबूर हो जाता हैं और इस जाल में फंस जाता हैं।भुखमरी और गरीबी के चलते किसान कर्ज को चुकाने में असमर्थ रहता हैं। कर्ज लेने के बाद चक्रवृद्धि ब्याज के चक्कर में अदायगी राशि दो चार और सौ गुनी हो जाती हैं, जिसे लाचार किसान अपना खेत खलियान बेचकर भी नहीं चूका सकता,अंतत: अपना आत्मसम्मान बचाने के लिए वह आत्महत्या का लेता हैं, संकट कितना गंभीर है,इसका अंदाजा किसानों द्वारा आत्महत्या करने की घटनाओं से लगाया जा सकता है. बिहार के किसान भी प्रकृति आपदा, बाढ़, सुखाड़ कभी फंसलो में दाना नही आने के कारण परेशान और मायुस हो कर आत्महत्या करने पर मजबूर होने लगे हैं।
-नसीम रब्बानी, पटना/ बिहार