घरों में रहकर रमजान व लॉकडाउन का एहतराम

बरेली/फतेहगंज पश्चिमी। कोरोना वायरस को लेकर हुए लॉकडाउन के दौरान रमजान में इबादत घर में रहकर करने की अपील शहर काजी, मौलाना व इमाम कर रहे हैं। रोजेदार भी लॉकडाउन का पूरा एहतराम करते हुए रोजे रख रहे और घरों में पांच वक्त की नमाज के साथ तिलावत व कसरत के साथ तराबी पढ़ रहे हैं लेकिन, लॉकडाउन के दौरान फतेहगंज पश्चिमी के रोजेदारों को सेवई, खजूर जैसे जरूरी चीजें मुहैया नहीं हो रही हैं। आम दिनों में रमजान शुरू होने से पहले ही इन सामानों की दुकानें सज जाया करता थी और मस्जिद में नमाज पढ़कर निकलने के दौरान लोग खरीदारी करते थे लेकिन आज विपरीत परिस्थिति है। कोरोना से हर कोई इसके डर दहशत से खौफ में है हर कोई इस बीमारी के खात्मे की दुआ कर रहा है। यह शायद पहला मौका होगा जब मस्जिदों में भीड़ नहीं है बरना इस महीने में मस्जिदों में अंदर बाहर नमाजी ही नमाजी दिखा करते थे इसके अलावा शाम को इफ्तार के दौरान मार्केट सूने दिख रहे है। इससे पहले के रमजानो मे शाम के बक्त बाजार गुलजार हुआ करते थे। पैर रखने की जगह नहीं हुआ करती थी। इसी तरह सुबह को सहरी फिर फज्र की नमाज के बाद सड़कों पर दिखने वाले लोग भी घर तक ही सीमित है। इस कारण इस बार रमजान का माहौल बदला बदला सा है। रोजेदार रईस अहमद ने बताया हमारी जिंदगी में इस तरह का माहौल रमजान के महीने में पहली बार दिखा जोकि पूरी दुनिया के लोग घरों में ही नमाज और रोजा इफ्तार कर रहे है।हम सभी लोग भी पूर्ण रूप से लॉक डाउन का पालन कर रहे है। रोजेदार नदीम अंसारी ने बताया कि लॉकडाउन का पालन करते हुए नमाज और रोजा इफ्तार घर पर ही कर रहे है इस कारण इस बार अजीब सा महसूस हो रहा है। रोजेदार अमान अंसारी ने बताया कि इस बार के रोजे अपनी पूरी जिन्दगी याद रहेंगे। रोजेदार सरदार अहमद ने बताया कि इस बार के रोजे बिल्क़ुल अलग तरह के है। इस बार नमाज से लेकर सहरी तक घर पर ही हो रहा है। इसलिये इस बार सभी कुछ बदला बदला सा लग रहा है। रोजेदार नवेद कादरी ने बताया कि इस बार के रोजे हमारे जीवन के याददार रोजे होंगे।।

बरेली से कपिल यादव

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