सज्जादानशीन की अपील हर जरूरतमंद तक पहुंचाए मदद

बरेली। दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन व टीटीएस के सदर मुफ्ती हसन रजा कादरी (अहसन मियां) ने कहा कि इस साल 25 से 26 अप्रैल से मुकद्दस माह रमजान शुरू होने जा रहा है। रमजान शरीफ में पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज नमाज – ए – तरावीह और पांचों वक्त की नमाज अदा करने से पहले जैसा ही मसअला रहेगा। जैसी दरगाह से पहले अपील की जा चुकी है मस्जिदों में जिस तरह चंद लोग नमाज अदा कर रहे हैं वैसे ही लोग रमजान में भी अदा करेंगे। बाकी लोग घरों में रहकर पांचों वक्त नमाज – ए – तरावीह अदा करे। सड़कों पर बेवजह भीड़ इकट्ठा न करें। इफ्तार व सहरी घरों में ही रहकर करे। दरगाह आला हजरत से जुड़े नासिर कुरैशी ने सज्जादानशीन की अपील की जानकारी देते हुए बताया कि गुरुवार को दरगाह स्थित टीटीएस मुख्यालय पर मुफ्ती अहसन मियां ने कहा कि हमारे मुल्क में लॉकडाउन के चलते लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे है। हुकूमत ए हिंद ने 3 मई तक लॉकडाउन को बढ़ा दिया गया है। ऐसे वक्त में लोगों के सामने घर चलाना मुश्किल हो रहा है। इस वक्त गरीब, मजलूम, यतीमो और वेवाओ को दवा, राशन व रुपए की सख्त जरूरत है। इस्लाम में जकात फर्ज है जो मुसलमान साहिबे निसाब(शरई मालदार) है। यानी जिसके पास साढ़े सात तोला सोना या इसकी कीमत के बराबर माल या रुपए या साढे बावन तोला चांदी या इसकी कीमत का माल हो। वह लोग मुकद्दस माह रमजान का इंतजार न करते हुए अपने कुल माल का 2.5 प्रतिशत निकाल कर जल्द से जल्द हकदारो तक राशन या रकम पहुंचा दें ताकि रोजेदारों को रोजे रखने में सहूलियत हो। जकात निकालने का यह सबसे मुनासिब वक़्त है। जकात के अलावा सदका व खैरात भी दिल खोलकर अदा करें। अल्लाह को पोशीदा (छिपी हुई) इबादत पसंद है। इसलिए गरीबों की मदद करते वक्त रियाकारी (दिखावा) हरगिज न करे। उन्होंने आगे कहा कि अपने पडोसी व रिश्तेदारों का खास ख्याल रखें ज़कात निकलने का सही तरीका उलेमा ए इकराम से जरूर पूछ ले। मालिक अपने मुलाजिमों को उनकी मजदूरी वक्त पर दे हो सके तो उनकी अलग से मदद कर दे। वही इंसान के लिए जिस्मानी ओ रूहानी सेहत और तंदुरुस्ती से बढ़कर कोई दूसरी नेअमत नहीं हो सकती। इसलिए हम सब अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए लॉकडाउन का सख्ती से पालन करे। घरों में रहकर अपने रब की इबादत करें।।

– बरेली से कपिल यादव

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