मुल्क भर के मुसलमान शबे बारात में घर पर करें इबादत : दरगाह आला हजरत

बरेली। शबे बरात को लेकर सुन्नी बरेलवी मसलक के मरकज ने भी मुसलमानों से घरों में बैठकर इबादत करने की अपील की है। दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने कहां है कि मजहबे इस्लाम में शबे बारात की बड़ी अहमियत है। मुसलमान घरों में बैठकर कोरोना वायरस से लड़ने के लिए रब की बारगाह में दुआ करें। दरगाह आला हजरत से जुड़े नासिर कुरैशी ने बताया कि सज्जादानशीन ने कहा कि शबे बारात का मतलब होता है, छुटकारे की रात। यानी गुनाहों से निजात की रात है। मजहब ए इस्लाम में इस रात की बड़ी अहमियत बयान की गई है। हदीस में आया है कि 15 शब (रात) को कायाम (इबादत) करो और इसके दिन का रोज़ा रखो। ये रात बड़ी रहमत व बरकत वाली रात है। नासिर कुरैशी ने बताया कि शुक्रवार को दरगाह आला हजरत पर सज्जादानशीन ने नमाज ए जुमा बाद मुल्क भर के मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि पूरी दुनिया इस वक़्त कोरोना वायरस की वजह से मुश्किल दौर से गुजर रही है। हमारे मुल्क हिदुस्तान के अलावा दुनिया के कई मुल्कों में लॉक डाउन जारी है। इसका सब लोग सख्ती से पालन करें। लोग अपने घरों में रहे। 9 अप्रैल को मुल्क में शबे बारात का त्यौहार मनाया जाएगा। शबे बारात में नफिल इबादत की जाती है। इस दिन मुल्क भर के मुसलमान अपने-अपने घरों में रहकर इबादत करते है। रोजा रखते है।
न होगी मिलाद महफिल, न कब्रिस्तान जाएंगे
शबे बारात को मुसलमान कब्रिस्तान जाकर अपने बुजुर्गों की कब्र पर फातिहा पढ़ने जाते है। मज़ारों पर हाज़िरी देते है। शबे कद्र की रात में लोग मस्जिदों में रात भर जाग कर अल्लाह की इबादत करते है। जगह जगह जलसे व महफ़िल ए मिलाद की महफ़िल सजती है। लॉक डाउन की वजह से न कब्रिस्तान जाएंगे और न मिलाद की महफ़िल सजेगी। सादगी के साथ लोग घरों में इबादत करेंगे। सज्जादानशीन साथ ने साहिबे निसाब (शरई मुसलमानो) से अपील करते हुए कहा कि इस मुश्किल घड़ी में गरीबों, बेसहारों, बेवाओं और यतीम का खास ख्याल रखें। जितनी मदद हो सके लोगो की करे । किसी का पड़ोसी भूखा न सोने पाए।।

– बरेली से कपिल यादव

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