बरेली। आज मां के सातवें रुप की अराधना की जाती है। मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है। 31 मार्च दिन मंगलवार को चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन है और इस माँ दुर्गा के सातवें स्वरूप दुष्टों का संहार करने वाली माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। गले में नरमुंडों की माला पहने वाली माँ कालरात्रि की पूजा करने से सभी तरह के भय का नाश होता है।
नवरात्रि के सातवें दिन ऐसे करें माँ कालरात्रि की पूजा
माँ कालरात्रि की पूजा ब्रह्ममुहूर्त में ही की जाती है। इसके अलावा तांत्रिक माँ की पूजा आधी रात में करते हैं। माँ कालरात्रि के पूजन के लिए विशेष कोई विधान नहीं है। इस दिन एक चौकी पर माँ कालरात्रि का चित्र स्थापित करें। इसके बाद माँ कालरात्रि को कुमकुम, लाल पुष्प, रोली आदि चढ़ाएं। माला के रूप में माँ को मुंड रूप में नींबुओं की माला पहनाएं और उनके आगे तेल का दीपक जलाकर विधिवत पूजन करें। माता कालरात्रि को लाल फूल अर्पित करें एवं गुड़ का भोग लगाएं। माँ कालरात्रि के मन्त्रों का 108 बार जप करें। समयानुसार श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करें व माता की आरती उतारें। पूजा आरती के बाद माँ कालरात्रि से जाने अनजाने में हुई भूलों के लिए क्षमा मांगें। माता को लगाएं भोग का प्रसाद सभी भक्तों में बांटे। माँ कालरात्रि की पूजा करने के लिए श्वेत या लाल वस्त्र ही धारण करना चाहिए। माँ कालरात्रि के सामने तेल का दीपक जलाकर गुड़ का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद 108 बार नवार्ण मंत्र पढ़ते जाएं और एक-एक लौंग चढाते जाएं। बाद में सभी लौंग को हवन में अर्पित करें। ऐसा करने से सभी विरोधी और शत्रु से रक्षी माता कालरात्रि करती रहेगी।
नवार्ण मंत्र
।। ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे।।
– बरेली से कपिल यादव