बरेली। रबर फैक्ट्री परिसर में कांबिंग कर रही टीम को वापस लौटने पड़ा। दो बार बाघिन की दहाड़ सुनाई दी, तो टाइगर विशेषज्ञ डीएफओ समेत पूरी टीम ने कांबिंग बंद कर दी। टीम चुपचाप लौट आई। माना जा रहा है चूना कोठी के अंदर बाघिन को बंद करने की कवायत सफल हो सकती है। इसके बाद टीम उसे ट्रेंकुलाइज करेगी। हालांकि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, डब्ल्यूआईटी, टाइगर रिजर्व की टीमें कोरोना वायरस के चलते वापस लौट गईं। अधिकारियों का कहना है कि बाघिन जिस एरिया में अधिक रहती है उस जगह को चिन्हित किया जा चुका है। कई पिंजरे भी लगाए गए,लेकिन बाघिन पिंजरे में कैद नहीं हो सकी। इसलिए अब चूना कोठी में दरवाजे लगाकर बंद किया है। वहां एक ऑटोमेटिक सिस्टम लगाकर गेट को तैयार कराया गया। कोठी के अंदर पड़ा भी बांध दिया है। बाघिन शिकार को चूना कोठी के अंदर घुसेगी, तभी दरवाजा बंद हो जाएगा। इसके बाद टीम बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर सकेगी। गुरुवार को कानपुर जू के टाइगर विशेषज्ञ डॉक्टर आरके सिंह, डीएफओ भारत लाल समेत अधिकारी व फैक्टरी परिसर में कांबिंग कर रहे थे। इसी बीच दो बार बाघिन ने दहाड़ लगाई। दहाड़ सुनते ही वन अधिकारियों के रोंगटे खड़े हो गए। टीम चुपचाप वापस लौट आई। हालांकि अधिकारियों ने बाघिन को पकड़ने के लिए जिस चूना कोठी में तैयारी की है। ऑटोमेटिक गेट लगाए हैं। सेंसर युक्त कैमरे लगाए हैं। उस जगह का टीम ने पूर्णतया निरीक्षण भी किया। डीएफओ भारत लाल का कहना है, कि बाघ को पकड़ने के लिए चूना कोठी में गेट ठीक करा दिए हैं। चूना कोठी में घुसते ही ऑटोमेटिक गेट बंद हो जाएगा।।
– बरेली से कपिल यादव