मध्यप्रदेश/उज्जैन – महाशिवरात्रि पर्व पर महाकाल मन्दिर में दर्शन के लिये हजारों श्रद्धालु आकर भगवान महाकाल के दर्शन करते हैं। महाशिवरात्रि के नौ दिन पूर्व शिव नवरात्रि उत्सव मनाया जाता है। यह उत्सव गुरूवार 13 फरवरी से प्रारम्भ हो गया है।
प्रथम दिन नैवेद्य कक्ष में श्री चन्द्रमौलेश्वर भगवान की पूजा, कोटितीर्थ पर स्थित श्री कोटेश्वर महादेव का पूजन-अर्चन करने के बाद के साथ प्रारम्भ हुआ। प्रात: लगभग 9.30 बजे महाकाल मन्दिर के गर्भगृह में श्री महाकालेश्वर मन्दिर के मुख्य पुजारी पं.घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में तथा अन्य 11 ब्राह्मणों के द्वारा देश एवं प्रदेश की सुख-समृद्धि एवं खुशहाली की कामना के साथ रूद्राभिषेक प्रारम्भ किया गया इसके बाद अपराह्न में 3 बजे पूजन के पश्चात भगवान श्री महाकाल को नवीन वस्त्र धारण कर श्रृंगारित कर पूजा-अर्चना की गई।
*महाशिवरात्रि पर्व पर 2 दिन के लिये भस्म आरती की ऑनलाइन बुकिंग बन्द रहेगी*
श्री महाकालेश्वर मन्दिर में महाशिवरात्रि पर्व पर भस्म आरती की ऑनलाइन अनुमति नहीं रहेगी। ऑनलाइन बुकिंग 21 एवं 22 फरवरी को बन्द रहेगी। शिवरात्रि उत्सव की शुरूआत 13 फरवरी से प्रारम्भ हो गई है। नौ दिवस में उपासना, तपस्या एवं साधना के लिये शिव नवरात्रि महापर्व मनाया जाता है। इन नौ दिनों तक भगवान श्री महाकाल अपने भक्तों को अलग-अलग स्वरूपों में दर्शन देकर उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
*शिव नवरात्रि उत्सव के दूसरे दिन शेषनाग श्रृंगार होगा*
श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति के सदस्य एवं मन्दिर के पुजारी पं.आशीष शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि शिव नवरात्रि उत्सव के दूसरे दिन 14 फरवरी को भगवान श्री महाकाल का शेषनाग से श्रृंगार कर उन्हें कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुंडमाल, छत्र आदि से श्रृंगारित किया जायेगा। उत्सव के तीसरे दिन शनिवार 15 फरवरी को भगवान महाकाल को घटाटोप, रविवार 16 फरवरी को छबिना श्रृंगार, सोमवार 17 फरवरी को होल्कर श्रृंगार, मंगलनाथ 18 फरवरी को मनमहेश श्रृंगार, बुधवार 19 फरवरी को उमामहेश श्रृंगार, गुरूवार 20 फरवरी को शिवतांडव श्रृंगार कर कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुंडमाल, छत्र आदि से श्रृंगारित किया जायेगा। उत्सव के नौवे दिन शुक्रवार 21 फरवरी को महाशिवरात्रि पर भगवान महाकाल को जलधारा चढ़ाई जायेगी। महाशिवरात्रि के दूसरे दिन शनिवार 22 फरवरी को भगवान महाकाल को सप्तधान श्रृंगार से श्रृंगारित किया जायेगा। इसी दिन श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति की ओर से ब्राह्मणों को पारणा भोजन कराया जायेगा। पारणा भोजन में किसी भी प्रकार के यजमान, भक्त या अन्य से सहयोग नहीं लिया जाता है। इस पारणा भोजन में पूरा खर्च मन्दिर प्रबंध समिति के द्वारा किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में श्री महाकालेश्वर मन्दिर स्थित है। इसे भारत के बारह प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। पुण्य सलीला शिप्रा तट पर स्थित उज्जैन प्राचीनकाल में उज्जयिनी के नाम से विख्यात था। इसे अवन्तिकापुरी भी कहते थे। यह स्थान हिन्दू धर्म की सात पवित्र पुरियों में से एक है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। ज्योतिष में जिसका विशेष महत्व है। इसी के साथ ही श्री महाकालेश्वर मन्दिर के गर्भगृह में माता पार्वती, भगवान गणेश व कार्तिकेय की मोहक प्रतिमाएं हैं। गर्भगृह के सामने विशाल कक्ष में नन्दी की प्रतिमा विराजित है। नन्दी हाल तथा नन्दी हाल के पीछे गणपति मण्डपम और इसके ऊपर कार्तिकेय मण्डपम में प्रतिदिन सैंकड़ों श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन एवं शिव आराधना का पुण्य लाभ लेते हैं।