हरदोई- होली का त्योहार नजदीक आते ही रंगों के साथ होलिका माता की जय का स्लोगन कानों में गूजंने लगता है। शहर में एक सौ से अधिक स्थानों पर होलिका दहन को लेकर तैयारियों का सिलसिला जारी है। इनमें कई स्थान ऐसे भी है जहां पर कई दशकों से होलिका दहन बदस्तूर होता चला आ रहा है। वहीं कुछ स्थान ऐसे हैं जहां पर अभी कुछ साल पहले से ही होलिका दहन का सिलसिला शुरू हुआ है।
फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात होलिका दहन की परम्परा सदियों से बदस्तूर चली आ रही है। जानकारों की मानें तो राजा हिरण्य कश्यपु ने अपने बेटे भक्त प्रहलाद को आग में जलाकर उसे भस्म करने का प्लान तैयार किया। इसी कड़ी में उसने अपनी बहन होलिका से प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठने के लिए कहा। होलिका एक शाल को ओढ़कर आग में बैठ गई। जलाना चाहती थीं प्रहलाद को लेकिन भक्त प्रहलाद को बाल भी बांका नहीं हुआ यह बात दीगर रही कि होलिका जलकर भस्म हो गई। तभी से इस होलिका दहन की परम्परा चली आ रही है।
रिपोर्ट- राजपाल सिंह कुशवाहा, बिलग्राम हरदोई