नदी की बाढ़ में आशियाना क्या बहा जिदगी तो सड़क पर आ गई

सीतापुर- नदी की बाढ़ में आशियाना बहा तो जिदगी सड़क पर आ गई। फूस की झोपड़ी में रहना नियति बन गया। दीये के उजाले से जिदगी में रोशनी की जद्दोजहद सालों बाद भी जारी है। इनके लिए सड़क ही घर बन गई है। मेहनत मजदूरी से परिवार का पालन पोषण और प्रशासन की मदद का इंतजार ही अब इनका नसीब बन गया है। यह दर्द एक या दो परिवारों की नहीं, बल्कि 500 से अधिक परिवारों का है। बिसवां के रेउसा विकास खंड में 500 परिवार सड़क के किनारे जीवन गुजार रहे हैं। लहरपुर तहसील के गांव बड़रिया के 10 परिवारों का आशियाना भी सड़क के किनारे फूस की झोपड़ी ही है। बाढ़ में बेघर इन लोगों को उम्मीद थी कि पानी उतरने के बाद प्रशासन इन्हें आवास दिलाएगा, लेकिन सर्वे में इनका नाम शामिल न हो सका। लापरवाही के नमक ने बाढ़ के जख्मों को नासूर बना दिया है।

बीते चार साल, घर के नाम पर मिला तिरपाल

लहरपुर तहसील में गांव बरछता से बड़रिया व रजनापुर गांव जाने वाली सड़क के किनारे लगभग 10 परिवार चार सालों से झोपड़ी में रह रहे हैं। सालों पहले गांव नदी की धार में कट गया तो लोगों ने सड़क के किनारे से अपना आशियाना बना लिया। झोपड़ी में रह रहे अवधराम, विश्राम, राम नरेश, सुशील आदि का कहना है कि बाढ़ के समय आलू, लइया और तिरपाल ही मिलता है। घर, खेत सब नदी में जाने के बाद अब मजदूरी का ही सहारा है। तंबौर क्षेत्र में सुकेठा मार्ग, बसंतापुर मार्ग, बजहा मार्ग, दुर्गा पुरवा आदि मार्गों पर भी कई परिवार सड़क के किनारे ही रह रहे हैं। रतौली में भी कई परिवार सड़क के किनारे ही रह रहे हैं।

ठिकाने की तलाश, जाने कब पूरी होगी आस

रेउसा क्षेत्र में म्योढ़ी छोलहा से शाहपुर जाने वाले मार्ग, कोलिया छडिया व किशोरगंज जाने वाली सड़क अब पांच सौ परिवारों ठिकाना बन चुकी है। सालों से पीड़ितों की जिदगी इन सड़कों के किनारे ही बीत रही है। अधिकांश परिवार नदी की बाढ़ में अपना सब कुछ गवां चुके हैं। होली हो या दीवाली सभी त्योहार झोपड़ी में ही होते हैं। यहां भी राहत व बचाव के नाम पर पूड़ी के पैकेट व तिरपाल ही मिलता है।

प्रशासन के प्रयास

गोलोक कोड़र ग्राम सभा के जंगल टपरी में 175 पीड़ितों को जमीन आवंटित की गई है।

– सुकेठा में 170 परिवारों को जमीन दी गई है।

– काशीपुर, मल्लापुर क्षेत्र में भी कुछ परिवारों को रहने के लिए जमीन दी गई है।

– लहरपुर तहसील प्रशासन जमीन की तलाश कर रहा है।

– म्योढ़ी छोलहा के पास सड़क के किनारे रहने वाले परिवारों के पुनर्वास के लिए बजट की मांग की गई है।

– जंगल टपरी में बाढ़ पीडितों के लिए ली गई जमीन में घोटाले की शिकायत भी हो चुकी है।

– दो सालों से कई सैकड़ा कटान पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिला है।

रामकिशोर अवस्थी
सीतापुर ब्यरो

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