*अफसर कर रहे लापरवाही,जगह-जगह चल रहे धुलाई केंद्र पर अधिकारी मेहरबान,नहीं होती कोई कार्यवाही…….
वाराणसी/सेवापुरी – भारत में पानी के लिए जबरजस्त जल संकट आने वाला है,इसकी वजह पानी का जबरजस्त दोहन होना बताया जा रहा है,जल दोहन पिछ्ले बीस सालो में बहुत तेजी से बढ़ रहा है,यदि पानी का अपव्यय नही रुका तो पानी के लाले पड़ जायेंगे,एक सर्वे के मुताबिक पानी की किल्लत जबरजस्त ढंग से बढ़ रही है, इससे साबित होता है कि पानी का स्तर कहाँ से कहाँ पहुच रहा है।सर्वेक्षण के मुताबिक वाटरलेबल हर साल दो से छह मीटर तक नीचे जा रहा है।
वही पानी के संकट से जूझ रहे जंसा क्षेत्र में संचालित हो रहे अवैध रूप से विभागीय और निजी कमाई का जरिया बने वाहन धुलाई केंद्र भी जल संकट का कारण है,धुलाई केन्द्रों पर जबरजस्त तरीके से पानी की बरबादी की जाती है।धुलाई केंद्र खोलकर लाखो लीटर की तादाद में पानी को बहाया जा रहा है,विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों की सह पर संचालित किए जा रहे धुलाई केन्द्रो को क्षेत्र के दबंगों द्वारा अवैध रूप से चलाया जा रहा है।वाहन धुलाई केंद्र ग्रामीण क्षेत्र मे देखे जा सकते है और विभागीय अधिकारी अपनी आंखे बंद किए है। जहाँ एक ओर अवैध रूप से संचालित धुलाई केंद्र प्रतिदिन लाखों लीटर पानी को बर्बाद कर रहे है,वही रोजाना जंसा के बहुतात क्षेत्र लमे पानी की किल्लत से जूझते हुये लाखों लोगो को भी देखा जा सकता है,गाँवों मे वाहन धुलाई के नाम पर लाखो लीटर पानी को बर्बाद किया जा रहा है वहीं लोग इस भीषण गर्मी मे बूंद बूंद पानी को तरसने को मजबूर है।पानी के इस अवैध कारोबार को कई रूप मे देखा जा सकता है,छोटे छोटे कल कारखाने भी पानी के संचालित किए जा रहे है और उनको व्यवसायिक रूप मे धन कमाने का जरिया बना लिया गया है। जबकि सरकार ने भी पानी के दोहन को रोकने के लिए कड़े निर्देश दिए है, पानी बर्बाद न करने की लोगो से आपील भी की गयी है,लेकिन लाखो लीटर पानी हर रोज बर्बाद हो जाता है।
जलकल विभाग से आने वाले पानी में अकसर देखा जाता है कि नाले का बदबूदार पानी सप्लाई हो रहा है जिसके चलते लोग पानी को बहने देते है और इसी प्रकार लाखो लीटर पानी वाहनों को धुलने में बर्बाद कर देते है।सरकार कब तक ऐसे अवैध कारोबार से जुड़े अपराधियों पर सिकंजा कसेगी।एक अनुमान के मुताबिक हमारे यहाँ करोड़ों लीटर पानी कार,बस, टैक्सी,और दो पहिया वाहनों की सफाई में बर्बाद हो जाता है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक यदि यही हाल रहा तो २०२० तक लोगो को पेयजल मुहैया कराना असंभव हो जायेगा,केंद्र को जल संकट से निपटने के लिए पानी की बर्बादी रोकने के लिए कड़े कानून बनाने होंगे,साथ ही भूजल माफिया के जरिये पानी की चोरी और पानी के अवैध व्यापार को रोकने के साथ ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा हो रहा दोहन भी हर हाल में रोकना होगा। हमारा शरीर अग्नि,जल, वायु,मिट्टी और आसमान आदि पंचतत्व से मिलकर बना है,जल का महत्व हमारे जीवन में बहुत है,धरती पर जब तक जल नही था,तब तक जीवन नही था,और जल ही नही रहेगा,तो जीवन के अस्तित्व की कल्पना नही की जा सकती, वर्तमान समय में जल संकट एक विकराल समस्या बन गया है,नदियों का जल स्तर गिर रहा है, कुए,तालाब जैसे प्राकृतिक स्रोत सूख रहे है,घटते वन्य क्षेत्र के कारण वर्षा की कमी के चलते भी जल संकट बड़ रहा है,वही उद्योग के दूषित पानी की वजह से नदियों का पानी भी दूषित होता चला गया, लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान न दिया।
सरकार को जनता में जागरूकता लाने के लिए विशेष प्रबंधन और उपाय करने होंगे, करोड़ो रूपए की धनराशि जल प्रबंधन पर प्रति वर्ष खर्च की जा रही है, आम आदमी को जल समस्या से बचने के लिए पानी की बचत का सन्देश देना होगा,आवश्यकता इस बात की है कि हम जल के महत्व को समझे और एक एक बूंद पानी की रक्षा करे, तभी लोगो की प्यास बुझेगी,सरकार को इस विषय पर नजर बनाये रखनी होगी। लेकिन धुलाई केन्द्रों पर हो रहे पानी की बर्बादी को रोकने लिए अधिकारियों को जल्द ही कड़े प्रावधान करने होंगे,अन्यथा आने वाली भयावह स्थिति के लिए सम्बंधित विभाग खुद जिम्मेवार साबित होगा और टीबी टीके बहुत देर हो चुकी होगी।मामला एक यह भी है कि ये धुलाई केंद्र ग्रामीण क्षेत्र मे पानी की बर्बादी कर रहे है और पानी भी जल निगम का प्रयोग कर रहे है और उससे आने वाली कमाई मे जल निगम का राजस्व भी चोरी कर रहे है,ऐसे मे इन लोगों पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए और जल दोहन भी रुकना चाहिए।
रिपोर्ट:-एस के श्रीवास्तव विकास जंसा