भाजपा पर जुबानी हमला आखिरकार ओम प्रकाश राजभर को पड़ा भारी

आजमगढ़- आम चुनाव के दौरान भाजपा पर जुबानी हमला आखिरकार अंतिम चरण के चुनाव के बाद ओम प्रकाश राजभर को भारी पड़ ही गया। रविवार की देर शाम से अटकलों के बीच आखिरकार सीएम योगी की सिफारिश पर राज्यपाल रामनाइक ने सोमवार को मुहर लगा ही दी। साथ ही ओमप्रकाश राजभर से उनका मंत्री पद छीन लिया गया। प्रदेश सरकार के सहयोगी दल सुभासपा के अध्यक्ष और योगी सरकार के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने चुनाव से पहले ही सरकार के खिलाफ मुखर हो गए थे। लेकिन चुनाव के मद्देनजर सरकार मंत्री ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ कोई भी कदम उठाना मुनासिब नहीं समझ रही थी। क्योंकि इससे जनता में एक गलत संदेश जाता। लेकिन अंदरखाने इस बात की चर्चा जोरों पर थी कि कभी भी मंत्रीपद से ओमप्रकाश को हाथ धोना पड़ सकता है। ओमप्रकाश के प्रति भाजपा की नाराजगी उस समय तय हो गई थी, जब बलिया के बेल्थरारोड से सकलदीप राजभर को राज्यसभा सांसद बना दिया गया था और दोनों के रिश्तों के बीच बर्फ जमनी शुरू हो गई थी। इस बीच ओमप्रकाश को भी लगने लगा था कि भाजपा की यह चाल उन्हें अपनी ही बिरादरी के बीच साख को कम करने वाली है। लिहाजा उन्होंने तुरंत आरक्षण का राग अलापना शुरू कर दिया। ओम प्रकाश राजभर ने अपने मंच से भाजपा पर जुबानी हमला करने का एक भी मौका नहीं छोड़ा। इसके बाद शुरू हुआ लोकसभा चुनाव का दौर और इसमें भाजपा को लोकसभा चुनाव में जितनी मुश्किल विपक्ष से नहीं हुई, उससे ज्यादा टीस सुभासपा अध्यक्ष और योगी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने दी है। लोकसभा चुनाव में राजभर ने पूर्वांचल की पांच सीटें मांगी लेकिन भाजपा ने लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं दी। भाजपा ने औम प्रकाश राजभर की पसंदीदा सीट घोसी देने की पेशकश जरूर की लेकिन शर्त यह थी कि वह भाजपा के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे। यह शर्त ठुकरा कर राजभर ने चुनावी मैदान में ताल ठोंक दी और फिर पांचवें, छठे और सातवें चरण में 39 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए। इनमें 22 सीटों पर सुभासपा उम्मीदवारों के नामांकन वैध पाए गए और राजभर ने अपने हर उम्मीदवार के मंच पर प्रचार के दौरान भाजपा पर जमकर वार किया।अब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का भाजपा से रिश्ता बिगड़ने के बाद पूर्वांचल में सुभासपा नए सिरे से सियासी समीकरणों में जुट गई है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार पार्टी कार्यकर्ताओं में भाजपा के खिलाफ काफी रोष है। लिहाजा पार्टी आने वाले समय में भाजपा के खिलाफ पूर्वांचल में मोर्चा खोलेगी। वहीं, बर्खास्तगी के बाद ओम प्रकाश राजभर भी शायद खुद को ‘साइलेंट’ रखने के उद्देश्य से कोई भी भड़काऊ बयान नहीं दिया है । हालांकि पार्टी पदाधिकारी ने बताया कि यदि अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को मंत्री पद का लालच होता तो इस तरह सरकार में रहकर सरकार की गलत नीतियों का विरोध नहीं करते। जो आज हुआ वो तो होना ही था, लेकिन ऐसे वक्त पर होना भाजपा के द्वेषपूर्ण मानसिकता को परिलक्षित करता है।

रिपोर्ट:-राकेश वर्मा आजमगढ़

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