रंगों की बौछार के बीच निकाली गई लाट साहब की सवारी

शाहजहांपुर -विविधताओं के देश भारत में होली का त्यौहार एक है पर उसे मनाने के तरीके अनेक है। यही है भारतीय संस्कृति की विविधता में एकता की पहचान। अब होली को ही देख लीजिये जहां ब्रज में बरसाने की लट्ठामार होली देश-दुनिया में चर्चित है तो वही उप्र के शाहजहांपुर में भी होली मनाने का अंदाज ही निराला है। यहां होली के लाट से जूता मार होली खेली जाती है। इस दिन रंगों की बौछार के बीच लाट साहब की सवारी निकाली जाती है। भैंसा गाड़ी पर लाट साहब के प्रतीक के रूप में एक व्यक्ति को बैठाया जाता है, जहा उसकी जूते-चप्पल और झाड़ू से पिटाई करते हुए जुलूस निकाला जाता है। शहर में जुलूस जिस-जिस रास्ते से होकर गुजरता है, लोग जूते-चप्पल से लाट साहब का स्वागत करते हैं।

शाहजहांपुर में लाट साहब के 3 जुलूस निकाले जाते हैं। आर सी मिशन और चौक के मेन लाट साहब के जुलूस को कोतवाली चौक में सलामी देकर शहर में घुमाया जाता है इस दौरान स्थानीय लोग जमकर होली खेलते हैं। इस दौरान लाट साहब को बैलगाड़ी मे कुर्सी पर बैठाकर शहर मे जूलूस को घुमाया जाता है। इस दौरान लोग जूता और झाडू लाटसाहब मारते हुए शहर में घुमाते हैं। इस दौरान जमकर हुडदंंग होता है। इन हुडदंगियो को कंट्रोल करने के लिए प्रशासन कड़ी मशक्कत कर रहा है। जिसके चलते भारी सुरक्षा बल लगाया जाता हैं। इसके लिए डीएम और एसपी खुद मीटिंग कर पुलिस बल तैनाती की मानटिरिंग कर रहे हैं।

दरअसल ब्रिटिश शासनकाल में अत्याचार के विरोध में इस जुलूस को निकालने की परंपरा शुरू की गई थी। जहा एक व्यक्ति को लाट साहब बनाकर जूते चप्पलों से मारते हुए उसका जुलूस निकाला जाता था। हालांकि,अंग्रेजों ने रोकने की कोशिश की, पर सफलता नहीं मिली। छह वर्ष पहले लाट साहब के जूलूस पर पाबंदी के लिए याचिका दायर की गई। लेकिन कोर्ट ने रोक से इन्कार कर दिया। लाट साहब को सबसे पहले चौक कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक सलामी देते हैं। लाट साहब को शराब की बोतल के साथ नकदी व अन्य उपहार भी भेंट करते हैं। इसके बाद लाट साहब को भैंसा गाड़ी पर बैठाकर शहर में घुमाया जाता।

– शाहजहांपुर से अंकित कुमार शर्मा

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