कम्प्यूटरीकृत होने के बाद खराब हुई डाकघर की व्यवस्था

बरेली- कम्प्यूटरीकृत होने के बाद खराब हुई डाकघर की व्यवस्था शाही के डाकघर मैं लगातार पिछले दो-तीन महीने से खराब व्यवस्था चल रही है लेकिन अब पिछले 5 दिनों से कनेक्टिविटी ना आने के कारण लोग परेशान हैं। शाही डाकघर के कर्मचारी फतेहगंज आकर डाक चेक करके ले जाते हैं और गांवों में बांटते हैं,शाही से आज फतेहगंज से आए संजीव राठौर ने बताया हमारे डाकघर में तीन कंप्यूटर हैं जिसमें एक खराब है दो सही है लेकिन पिछले 5 दिन से कनेक्टिविटी नहीं आ रही है इससे फतेहगंज आ डाक घर पर आकर यहां डाक चेक की जाती है किस गांव की है, उसके बाद उन गांवों में डाक बांटी जाती है, सभी जगह शिकायत करने के बावजूद भी कोई निस्तारण नहीं हुआ पोस्ट मास्टर आत्मानंद ने बताया कि 24 तारीख को हम 20 कट्टे डाक लेकर फतेहगंज आए जो 9 दिन की डाक थी उसे चेक कर फिर गांवों में बांटा आज हम 5 दिन की डाक लेकर आए हैं। कंप्यूटर से चेक किया जा रहा है उसके बाद गांवों में बांटी जाएगी, शाही डाकघर में 16 ब्रांच ऑफिस हैं जिसमें करीब डेढ़ सौ गांव आते हैं इन सभी गांवों के लोग परेशान हैं लोगों के काम नहीं हो पा रहे है,शाही डाक घर मे जो सिस्टम लगे है बो सिस्टम भी चलो चलता है और एक सिस्टम खराब है इस वजह से लोगों के आधार कार्ड भी नहीं बन पा रहे हैं ऊपर से आदेश है कि आधार कार्ड बनाओ लेकिन कंप्यूटर सही न होने के कारण काम नही हो पाता है।एक आईडी होने के कारण भी आधार का काम नहीं हो पाता है, ना ही विभाग ने किसी को आधार बनाने की ट्रेनिंग दी है, कि आधार कार्ड किस तरह से बनते हैं। आज बीएसएनल के अधिकारी यहां आए और उन्होंने सभी सिस्टम चेक किया लेकिन बीएसएनल की तरफ से उन्होंने कोई दिक्कत नहीं है। सीपी खराब बताया जिससे नेटवर्क चलता है जिसे विभाग वाले सही करेंगे उसके बाद ही काम शुरू हो पाएगा लेकिन यहां से जुड़े उपभोक्ता काफी परेशान हो रहे हैं। समय पर के कागजात नहीं मिल पा रहे हैं डाकघर की सभी सेवाएं नही मिल पा रही है।
कनेक्टिविटी खराब होने की वजह से डाकघर से जुड़े ग्राहक व सरकारी विभागों के कर्मचारी रजिस्ट्री करने के लिए भटक रहे हैं। और विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा में फार्म भरने के बाद तैयारी करने वाले युवाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जिससे लोग बुरी तरह परेशान हैं इससे युवा व ग्रामीण क्षेत्र के आने वाले लोगों का समय बर्बाद होता है।

-बरेली से सौरभ पाठक की रिपोर्ट

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