आजमगढ़- जिले में अप्रशिक्षित कर्मचारियों के भरोसे बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के नाम पर निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों का शोषण अब भी जारी है। धन कमाने की लालच में चिकित्सक मानवता को जहां ताक पर रख दे रहे हैं वही स्वास्थ्य विभाग भी इनके कारनामों को नजर अंदाज करता चला आ रहा है। गलत तरीके से इलाज और आपरेशन करने का परिणाम कि मरीजों को अपनी जान भी गवाना पड़ जा रहा है। शहर के एक प्रतिष्ठित चिकित्सक ने शूगर व ब्लड प्रेसर से ग्रसित एक महिला का ब्रेन में शिकायत बताकर उसका जबरन आपरेशन कर दिया नतीजा यह हुआ कि उसकी मौत हो गई। अस्पताल के चिकित्सक की लापरवाही की शिकायत मृतका के बेटे ने मुख्य चिकित्साधिकारी, पुलिस अधीक्षक से किया लेकिन आलम यह है कि अभी तक उक्त चिकित्सक के विरूद्ध मुकदमा दर्ज तक नही किया गया। पीड़ित की माने तो शहर कोतवाली पुलिस और अस्पताल प्रशासन सुलह समझौता कराने के लिए दबाव बना रहा है। शनिवार को एक बार फिर ग्रामीणों के साथ पीड़ित ने पुलिस अधीक्षक से मिलकर न्याय की गुहार लगाते हुये चिकित्सक के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही की मांग किया। रौनापार थानाक्षेत्र के आराजी देवारा करखिया बाढ़ू का पूरा गांव निवासी दिलशाद अहमद पुत्र इस्तार अहमद ने पुलिस अधीक्षक को दिये गये शिकायती पत्र में आरोप लगाते हुए बताया कि शहर के बिलरियां की चुंगी स्थित एक न्यूरो सर्जन के यहां उसकी मां नरगिस का इलाज चल रहा था। उसकी मां शूगर की भी मरीज थी। चिकित्सक के कहने पर बीते 14 नवम्बर को उसमें अपनी मां को अस्पताल में भर्ती कराया। पीड़ित ने चिकित्सक पर आरोप लगाते हुये कहाकि 2-3 दिन लगातार सिटी स्कैन कराने के बाद चिकित्सक ने सिर की नस में शिकायत बताकर धनउगाही करने के नियत से गलत तरीके से आपरेशन कर दिया। आपरेशन के ठीक पहले चिकित्सक ने एमआरआई कराने की बात कही, अभी रिपोर्ट भी नहीं आयी थी कि उसके पहले चिकित्सक ने आपरेशन कर दिया। जिसके चलते मरीज की हालत गंभीर होती चली गयी। अन्य चिकित्सकों से सलाह लेने पर बताया गया कि शूगर व ब्लड प्रेशर होने की दशा में आपरेशन करना मरीज के लिए प्राणघातक हो सकता है। हालत गंभीर होने पर भी अस्पताल के चिकित्सक मरीज को रेफर नहीं कर रहे थे और पैसों की मांग कर रहे थे। पीड़ित का आरोप है कि पैसा जमा कराने के बाद भी अस्पताल प्रशासन ने उसकी बाईक बंधक रख ली। उपचार में विलम्ब होने के कारण पीड़ित की माँ का जान चली गयी। अंतिम क्रिया करने के बाद जब अस्पताल प्रशासन पर कार्यवाही करने के लिए 18 दिसम्बर को शहर कोतवाली व मुख्य चिकित्साधिकारी को शिकायती पत्र दिया गया। लेकिन अस्पताल प्रशासन के खिलाफ न तो कोई विभागीय और न ही कोई कानूनी कार्यवाही ही की गयी। शिकायती पत्र सौंपने के दौरान इस्तार अहमद, नौशाद अहमद, इरशाद अहमद, इरफान अहद, साबिर, अली हसन, जयनारायन, सुनील यादव, शमसाद अहमद, सौरभ, रामप्रकाश आदि ग्रामीण मौजूद रहे।
रिपोर्ट-:राकेश वर्मा आजमगढ़