राजस्थान-जयपुर| हिन्दू जनजागृति समिति ने आगामी हिन्दी फिल्म ‘केदारनाथ’ को बैन करने की मांग उठाई।हिन्दू जनजागृति समिति के अनुसार फ़िल्म में नाम, ‘पोस्टर’, ‘ट्रेलर’ और ‘टीजर’ से ध्यान में आता है कि फिल्म हिन्दूद्रोही है । इस फिल्म में एक नई खोज की गई है कि श्रीक्षेत्र केदारनाथ में वर्ष 2013 में आए जलप्रलय की सत्य घटना इस फिल्म की नायक-नायिका के कथित प्रेमप्रकरण का विरोध करने के कारण घटी है । इस फिल्म के ‘पोस्टर्स’ पर ‘लव इज ए पिलग्रिमेज’ अर्थात ‘प्रेम तीर्थयात्रा है’, ऐसी टैगलाइन देते हुए हिन्दुआें की तीर्थयात्राआें के उद्देश्य का ही उपहास उडाया गया है । सर्वाधिक महत्वपूर्ण यह है कि इस फिल्म में हिन्दुआें के तीर्थस्थल पर एक घोडेवाले मुसलमान युवक का और धनवान परिवार की हिन्दू युवती का प्रेमप्रकरण दिखाया गया है । वर्तमान में देशभर में ‘लव जिहाद’ की समस्या ने कुहराम मचाया हुआ है । इस माध्यम से एक प्रकार से ‘लव जिहाद’ को प्रोत्साहन दिया गया है । यह अत्यंत निंदनीय और आपत्तिजनक है । हिन्दू जनजागृति समिति ने प्रश्न किया है कि, ऐसी ही कथा मुसलमानों के प्रार्थनास्थल मक्का-मदीना पर मुसलमान युवती और हिन्दू युवक की प्रेमकथा दिखाने का साहस क्या निर्माता ने किया होता ? इस फिल्म को हिन्दू जनजागृति समिति का तीव्र विरोध है । हिन्दू जनजागृति समिति सहित समस्त हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने मांग की है कि यह फिल्म प्रदर्शित न किया जाए तथा इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाया जाए ।
धार्मिक भावनाएं आहत होने के कारण श्रीक्षेत्र केदारनाथ के पुजारी और श्रद्धालुआें ने भी इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है । विवाद उत्पन्न कर प्रसिद्धी प्राप्त करना और फिल्म से कमाई करनेवाले स्वार्थी और समाजघाती उद्देश्य इस फिल्म से दिखाई देते हैं । आज पुणे शहर के तिलक चौक पर फिल्म ‘केदारनाथ’ के विरोध में आंदोलन किया गया । इस समय हिन्दुआें की धार्मिक भावनाएं आहत करने से संबंधित विविध नारे लगाकर तीव्र निषेध व्यक्त किया गया । हिन्दू जनजागृति समिति के प्रतिनिधि मंडल की ओर से केंद्रीय फिल्म प्रमाणन मंडल के मुख्य कार्यालय में एक निवेदन दिया गया । निवेदन में मांग की गई है कि इस फिल्म को प्रमाणपत्र नहीं दिया जाए ।
इस आंदोलन में की गई मांगें –
१. जनता के धैर्य का बांध टूटने से पूर्व सेन्सर बोर्ड इस फिल्म पर प्र्रतिबंध लगाए ।
२. जब तक फिल्म के विवादित प्रसंग हटाकर फिल्म हिन्दू संगठनों अथवा धर्माचार्यों के प्रतिनिधि मंडल को नहीं दिखाया जाता, तब तक इस फिल्म को प्रमाणपत्र नहीं दिया जाए ।
३. फिल्म के माध्यम से हिन्दुआें के मंदिर, आस्थास्थान, धर्मग्रंथ और देवताआें का उपयोग अनुचित पद्धति से न किया जाए, इसके लिए फिल्म प्रमाणन मंडल नियमावली बनाए ।
४. फिल्म की टैग लाइन ‘लव इज ए पिलग्रिमेज’ परिवर्तित की जाए ।
विवाद उत्पन्न कर, हिन्दुआें की भावनाएं आहत कर, धर्मपरंपराआें पर आघात कर फिल्म बनाना, प्रसिद्धी प्राप्त करना और तत्पश्चात धंधा करना, ऐसा वर्तमान फिल्म निर्माताआें का अत्यंत नीतीहीन समीकरण बन गया है तथा यह वास्तविकता है । आंदोलन में चेतावनी भी दी गई कि यदि उक्त मांगे पूर्ण न कर फिल्म को प्रमाणपत्र दिया गया तथा यदि जनता के धैर्य का बांध टूटा, तो केंद्रीय फिल्म प्रमाणन मंडल और शासन उत्तरदायी रहेगा । इस फिल्म को हिन्दुआें ने अपना तीव्र विरोध दर्शाया है ।
पत्रकार दिनेश लूणिया सादड़ी