बिहार/मझौलिया- देवी भागवत पुराण के अनुसार साल में कुल 4 नवरात्रि होते हैं जिनमें माघ और आषाढ़ के नवरात्रि को गुप्त नवरात्र कहते हैं चईत और अश्विन महीने के नवरात्रि मनाया जाता है जिनका पुराण में सबसे अधिक महत्व बताया जाता है अश्विन मास की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि भी कहा जाता है बताते चलें कि बिना कन्या पूजन के नवरात्रि की पूजा पूरी नहीं मानी जाती है कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है भोजन कराया जाता है कन्याओं को वस्त्र और धन सिंगार की भेंट दी जाती है अष्टमी और नवमी तिथि को कन्याओं को घर में पूजा की जाती है और कन्या पूजन से माता प्रसन्न होती है शास्त्रों में कहा गया है कि नवरात्रि में छोटी कन्या अत्यंत उर्जा की प्रतीक है और उसकी पूजा करने से यह ऊर्जा सक्रिय हो जाती है और इनका पूजन करने से सारे ब्रम्हांड की देवी देवताओं की शक्तियों का आशीर्वाद पूजन करने वाले को मिलने लगता है
जानकारी के लिए बता दें कि माता के भक्त पंडित श्रीधर के कोई संतान नहीं थी एक दिन उसने नवरात्र पूजन में कुंवारी कन्याओं को बुलाया इसी बीच मां वैष्णो देवी कन्याओं के बीच में आकर बैठ गई सभी कन्याओं ने भोजन कर और दक्षिणा ले कर चली गई लेकिन मां वैष्णो देवी रह गई मां ने कहा कि तुम अपने यहां भंडारा रखो और पूरे गांव को आमंत्रण करो इस भंडारे में भैरवनाथ भी आया था जब माता को पकड़ना चाहा तो माता ने भैरोनाथ का अंत कर दिया और माता वैष्णो देवी की गुफा का पता भक्तों को मिली उसी दिन से हम पुरे हर्ष और उल्लास के साथ यह नवरात्र मनाया जाता हैं ।
– राजू शर्मा की रिपोर्ट