मध्यप्रदेश/दमोह-जहां एक और शासन द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर करोड़ों रुपये खर्च कर लोगों को बेहतर से भी बेहतर इलाज के लिए कदम बढ़ा रही है तो वहीं दूसरी ओर शासन के कुछ नुमाइंदों द्वारा स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को ताक पर रखा जा रहा है आपको बता दें की हम बात कर रहे हैं दमोह जिले के तेन्दूखेड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की जहां पर स्वास्थ्य केंद्र के बीएमओ केंद्र से खुद ही नदारत पाये जाते हैं।जिसके कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अव्यवस्थाएं बनी हुई है यहां पर पुरानी कहावत बिल्कुल जमती ण्सैंया भये कोतवाल अब डर काहे का सुबह 9.30 बजे जब हमारे संवाददाता ने स्वस्थ्य केंद्र का जायजा लेने पहुंचे तो लगभग सभी रुमो के दरवाजों में ताला लटका मिला।
स्वास्थ्य केंद्र में बाहरी लोग लगा रहे इंजेक्शन:-
बता दें की शासकीय अस्पतालों की स्थिति सुधारने के लिए शासन प्रशासन चाहे जितने भी दावे करें लेकिन जमीनी हकीकत सरकारी अस्पतालों की स्थिति को देखकर सहज ही पता लग जाता है।यही हाल दमोह जिले के तेन्दूखेड़ा स्थिति सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं सरकारी अस्पताल का है जहां व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है क्योंकियहां पर मरीजों को डॉक्टर की जगह पर बाहरी अन्य व्यक्ति को इंजेक्शन लगाते पाया गया है जब हमारे संवाददाता को करीब एक घंटे तक डॉक्टर का इंतजार करना पड़ा तो डॉक्टर के आने के बाद एक बानगी और देखने मिली जब एक बाहरी व्यक्ति मरीज को इंजेक्शन लगा रहा था जब हमारे संवाददाता ने इंजेक्शन लगा रहे व्यक्ति के और अपने मोबाइल का कैमरा घुमाया तो वह आग बबूला हो गया और धमकी भरे स्वर में कहने लगा की में किसी पोस्ट पर नहीं हूं लेकिन मुझे इंजेक्शन लगाने की परमीशन अस्पताल के डॉक्टर ने दी है इस लिये इंजेक्शन लगाता हूं जब हमारे संवाददाता ने परमीशन देने वाले डॉक्टर का नाम जाना चाहा तो उसने नाम बताने से मना कर दिया अब आप ही बतायें की अगर यूं ही मरीजों की जान से खिलवाड़ आगे भी होता रहा तो वो दिन भी दूर नहीं जब लोग सरकारी अस्पताल के नाम से डरने लगेंगे।
समय पर डॉक्टर ना मिलने से होती है परेशानी:-
अस्पताल में सबसे बड़ी समस्या जब होती है जब सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में समय पर कोई भी डॉक्टर ना हो जब लोगों को कभी परेशानियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि यहां के डॉक्टर समय पर कभी भी मिलते ही नहीं है अब आप ही इसका अंदाजा लगाया जा सकता है जब हमारे संवाददाता ने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का हाल चाल जाना ऐसे में आप ही बताया कि विशेषज्ञ डॉक्टर के ना होने के कारण मरीजों को नगर में प्राइवेट क्लीनिक में इलाज कराना पड़ता है जो काफी महंगा पड़ता है
ग्रामीणों क्षेत्रों एवं नगर के लोगों का कहना:-
आपको बता दें की जब हमारे संवाददाता ने ग्रामीणों क्षेत्रों एवं नगर के लोगों से इसकी जानकारी ली तो लोगों का कहना है कि हमारे यहां पर पहले जो डॉक्टर पदस्थ थे तो वह मरीजों को बेहतर इलाज करते थे और लोगों के बेहतर इलाज के लिए प्रयास भी करते थे जिसके कारण यहां पर मरीजों की भीड़ रहती थी किंतु अब तो मरीज प्राईवेट क्लीनिक या फिर जबलपुर दमोह जाना बेहतर समझते हैं कई बार अस्पताल की इन समस्याओं की और तेन्दूखेड़ा के कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने इस समस्या की ओर शासन प्रशासन का कई बार ध्यान आकृष्ट कराया लेकिन स्थिति जस कि तस बनी हुयी है।
तेन्दूखेड़ा एसडीएम इनका कहना:-
इस संबंध में तेन्दूखेड़ा एसडीएम नारायण सिंह ठाकुर का कहना है की में अभी बीएमओ से बात करता हूं और जानकारी लेता हूं आपके द्वारा मुझे बताया गया है आज ही अस्पताल का निरीक्षण करता हूं
(तेन्दूखेड़ा एसडीएम नारायण सिंह ठाकुर )
– विशाल रजक, मध्यप्रदेश