गाजीपुर- बैजनाथ हनुमान इण्टर कालेज हैदरगंज के वार्षिकोत्सव के पूर्व संध्या पर दो दिवसीय ‘स्वबोध सत्संग का आयोजन किया गया।स्वबोध आश्रम की वरिष्ठ आचार्या सुश्री सरोजिनी मां ने अपने सत्संग क्रम में आज योग के अंतर मर्म की व्याख्या करते हुए बताया कि महर्षि पंजजलि ने योग सूत्र में योग को अपने स्व’ स्वरूप की स्थिति की कला के रूप में परिभाषित किया है।जब चित्त की समस्त वृत्तियों का निरोध होकर योगी साधक अपने सच्चे आत्म स्वरूप में स्थित हो जाता है वह अवस्था ही योग है।इस प्रकार योगासन और योग दो चीजें हैं हम जो योग व्यायाम व योगासनो को ही योग समझ बैठे है ये शरीर स्वास्थ्य के लिए उसके सहयोगी अंग ही है।इसी को योग समझ लेना पर्याप्त नहीं।किंतु चूँकि मानव बहिर्मुखी है इसलिए वह योग के गूढ अर्थ में प्रवेश नहीं कर पाता।इसलिए ही विश्व धर्म के व्यापक प्रसार के लिए प्रभु श्री गुरूदेव ने आत्मोपासना की वह सहज व सरल विधि प्रदान की है।जिसके क्रमशः अनुशरण से एकदम साधारण व्यक्ति भी परमात्मा की भक्ति और सर्वधर्म रूप अपने कर्तव्य कर्मों को करते हुए भी योग के परम लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।आचार्या मां ने विस्तृत रीति से योग मनोविज्ञान की विश्लेषण करते हुए कहा कि आत्मपूजा ही सच्ची पूजा है।जिसका अनुपालन करता हुआ मानव सांसारिक कामनाओ की सिद्धी के साथ ही साथ जीवन मुक्ति को भी साधित करने में सफल हो सकता हैं।अन्त में माताजी ने प्रभु शरणगति को आत्मोपासना का सार तत्व कहते हुए आत्मोपासना के लिए मात्र 24 मिनट के समय की दक्षिणा की मांग करते हुए सत्संग पूर्ण किया।इस मौके पर सरिता गुप्ता,प्रबंधक राजेश गुप्ता, प्रधानाचार्य मनोज कुमार गुप्त,श्रीकांत,रामअवध यादव,लुटुर प्रजापति,नग्गू यादव,रामनगीना यादव,डां दुलारे यादव,पूर्व प्रधान सुनीता गुप्ता,रमाकांत मिश्र,शिवधर यादव,यशवंत सिंह,डां रामनाथ गोड़, ग्राम प्रधान उदयभान राजभर,अवधेश राजभर,सुरज कुमार आदि लोग मौजूद रहे।
गाजीपुर से प्रदीप दुबे के रिपोर्ट