त्योहारी सीजन में दाल मिलों को मिलावट की छूट: आदेश पर भी छापेमारी नहीं कर रहे अभिहित अधिकारी

*जन में दाल मिलों को मिलावट की छूट

*उच्चाधिकारियों के आदेश पर भी छापेमारी नहीं कर रहे अभिहित अधिकारी

*अरहर में खैसारी की दाल मिलाए जाने की आशंका

बरेली- खाद्य सुरक्षा विभाग त्योहारी सीजन में छोटी दुकानों पर छापेमारी करके भले ही वाहवाही लूटने में लगा हो लेकिन विभाग ने दाल मिलों को मिलावट की पूरी छूट दे रखी है। उच्चाधिकारियों के आदेश पर भी अभिहित अधिकारी दाल मिलों पर छापेमारी करने नहीं जा रहे हैं, जबकि जिला मुख्यालय से लेकर प्रदेश मुख्यालय तक मिलों में खेसारी दाल की मिलावट होने की आशंका जताई जा चुकी है। खेसारी की दाल खाने से किडनियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। किडनियां खराब हो जाती है।

जिले में करीब 40 दाल मिलें हैं। इन पर छापेमारी करने की जिम्मेदारी खाद्य सुरक्षा विभाग की है। अधिकारियों छापेमारी के दौरान देखना होता है कि अच्छी गुणवत्ता की दाल ही बाजार में भेजी जा रही है। खेसारी की दाल की तो मिलावट नहीं हो रही है। विगत वर्षों छापेमारी के दौरान एक दो मिलों में खेसारी की दाल पकड़ में भी आई थी। इन मिलों पर कार्रवाई के साथ जुर्माना भी डाला गया था लेकिन अब दाल मिलों पर छापेमारी पर पूरी तरह से अंकुश लगा हुआ है।

अधिकारी शासन के आदेश की भी धज्जियां उड़ा रहे हैं। दरअसल, पिछले दिनों शासन ने आदेश दिया था कि दाल मिलों पर छापेमारी करके तत्काल रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक मिल पर जरूर छापेमारी की गई लेकिन वहां सब कुछ ओके दिखाया गया। विभाग के एक कर्मचारी का कहना है कि इस दाल मिल पर खेसारी की दाल मिली थी लेकिन उसको जब्त करने की जगह मिल मालिक से साठ गांठ कर ली गई। इस मामले में कार्रवाई भी नहीं की गई। विभाग के एक उच्चाधिकारी को जब इसकी शिकायत मिली तो उन्होंने मामले की गोपनीय जांच कराना शुरू कर दी। इसकी रिपोर्ट उनको मिल चुकी है। उन्होंने अपने स्तर पर मिलों में छापेमारी की तैयारी शुरू कर दी है।

आ रही मिलावट की शिकायत

विभागीय सूत्रों का कहना है कि सबसे ज्यादा मिलावट अरहर की दाल में की जा रही है। पिछले महीनों से शिकायत मिल रही है कि दाल ठीक से नहीं पक रही और गल भी नहीं रही है,खाने में अरहर की दाल जैसा कोई स्वाद न मिल रहा है, देखने में दाने अनुपात से ज्यादा छोटे हैं। इस तरह की शिकायतें शासन तक भी पहुंची हैं लेकिन इसके बाद बाजार में एक दो जगह छापेमारी कर दी गई लेकिन जहां से यह खेल चल रहा है। उन मिलों में अधिकारी झांकने तक नहीं पहुंचे।

ऐसे करें असली नकली की पहचान

अरहर की दाल के दाने थोड़े से बड़े आकार के होते हैं। नकली दाल के दाने छोटे हैं। पकाने के बाद दाल में वाजिब गाढ़ापन नहीं आता। अगर दो दुकानों के दाम में बहुत ज्यादा अंतर हो तो समझ लें कि सस्ती वाली दाल मिलावटी है। विभागीय जानकारों का कहना है कि जो असली दाल होती है उसमें चमक कम होती है, दाल की कनवेस्टि एक तरफ से प्लेन और दूसरी तरफ से उभार होता है, किनारा स्मूथ नहीं बल्कि रफ होता, भिगोने पर दाल के सरफेस पर बुलबुले दिखाई देंगे, कम समय में पक जाती है दाल, रंग नहीं छोड़ती असली दाल।

पंकज खटवानी।

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