* मौजूदा दावेदारों में से अधिकतर हो जाएंगे मेयर टिकट की लाइन से बाहर
रुड़की/हरिद्वार- रुड़की जैसे की चर्चा है कि रुड़की नगर निगम का विस्तार होने जा रहा है। शहर के अगल-बगल के कई गांव नगर निगम में जुड़ने जा रहे हैं। प्रशासनिक स्तर पर कसरत हो रही है और संबंधित गांव के लोगों को इसके लिए तैयार किया जा रहा है। वैसे तो यह रामपुर और पाडली का तोड़ निकाले जाने की कवायद मानी जा रही है। लेकिन सीमा विस्तार होने के साथ ही रुड़की नगर निगम के सारे सियासी समीकरण बदल जाने हैं। अभी तक जितने भी दावेदार हैं। उनमें से अधिकतर मेयर के टिकट की दौड़ से बाहर हो जाएंगे। वजह बड़े कद वाले नेता ही इतने बड़े का चुनाव का सामना कर सकेंगे। भारतीय जनता पार्टी ही नहीं बल्कि कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी में भी वजूद वाले नेताओं के नाम पर ही विचार होगा। माना जा रहा है कि इसीलिए कई सारे दावेदारों ने मैदान छोड़ना शुरू भी कर दिया है। धीरे-धीरे कर वह अपने आप को चुनाव की तैयारियों से दूर करते जा रहे हैं। उनकी समझ में आ गया है कि इतने बड़े क्षेत्र में चुनाव लड़ना इतना आसान नहीं है। साथ ही शहरी सियासत में उन बड़े चेहरों के नामों को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है। जो कि नगर निगम का चुनाव लड़ सकते हैं। मोहनपुरा मोहम्मदपुर ढंडेरा भंगेड़ी ब्रहहमपुर बेलडी बाजूहेडी शंकरपुरी आदि क्षेत्र जुड़ने के बाद जातीय समीकरण भी उलट-पुलट हो जाएंगे। सभी पार्टियों में अभी तक जो वैश्य पंजाबी ब्राह्मण की दावेदारी को ही मजबूत माना जा रहा था। विस्तार होने के बाद यह सियासी समीकरण पूरी तरह बदल जाएंगे। सैनी राजपूत के साथ ही दलित भी मेयर पद के बड़े दावेदारों के रूप में उभरकर सामने आएंगे। इस बीच दलित-मुस्लिम गठबंधन का सियासी समीकरण भी परिणाम देने की स्थिति में होगा।यह भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी तो कांग्रेस के लिए बड़े ही घातक समीकरण रहेंगे। राजनीति के जानकार मानते हैं कि दलित मुस्लिम गठबंधन का समीकरण सीधे तौर पर कांग्रेस को बैकफुट पर पहुंचा देगा। क्योंकि कांग्रेस के पास फिलहाल मुस्लिम वोटर ही बड़ा आधार है। यदि बहुजन समाज पार्टी ने नए समीकरण में दलित मुस्लिम गठबंधन के तहत प्रत्याशी मैदान में उतार दिया तो सीधा मुकाबला भाजपा व बहुजन समाज पार्टी के बीच होगा। ऐसी स्थिति में कांग्रेस के लिए चुनाव में बने रहना भी मुश्किल हो जाएगा। कहने का मतलब साफ है कि यदि तीन चार मजबूत निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए तो भाजपा की बाजी भी ताश के पत्तों की तरह बिखर जाएगी। ऐसे में विस्तार की कवायद बहुजन समाज पार्टी के पक्ष में जा रही है।इसीलिए सीमा विस्तार को लेकर भाजपा में दो राय हैं। एक खेमा चाहता है कि सीमा विस्तार ही रामपुर और पाड़ली का राजनीतिक रूप से तोड़ है। जबकि दूसरा खेमा मौजूदा क्षेत्र पर ही चुनाव कराने के पक्ष में है। बहरहाल, सीमा विस्तार की कवायद के बीच शहरी सियासत में खासी हलचल मची है विधायक प्रदीप बत्रा नगर निगम के चुनाव को लेकर सक्रिय हो गए हैं। इनके अलावा खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, पिरान कलियर के विधायक हाजी फुरकान अहमद ,पिरान कलियर विधानसभा से चुनाव लड़े भाजपा नेता जयभगवान सैनी ने भी अपने समर्थकों से नगर निगम के चुनाव के संबंध में वार्तालाप शुरू कर दी है। पूर्व विधायक सुरेश चंद जैन भी समर्थकों की राय लेने के साथ ही आम मतदाता की नब्ज टटोल रहे हैं। राजनीतिक जानकारों की माने तो इन सभी नेताओं का किसी न किसी रूप में चुनाव में बड़ा दखल रहेगा। यदि चर्चाओं पर गौर किया जाए तो पूर्व विधायक सुरेश चंद जैन नगर निगम के चुनाव के मद्देनजर कभी भी भाजपा में प्रवेश कर सकते हैं। वही भाजपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष श्यामवीर सैनी दायित्व का मोह छोड़कर शहर की सियासत में दस्तक दे सकते हैं यानी कि वह भाजपा से मेयर का टिकट मांग सकते हैं। वहीं पूर्व विधायक हाजी मोहम्मद शहजाद भी अपने किसी प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतार सकते है।
– रूडकी से इरफान अहमद की रिपोर्ट