पित्रो की भूमि को बचाने के लिए जरूरत पड़ी तो राजनीति भी करेंगे:क्षत्रिय राजपूत सेना

पौड़ी गढ़वाल- देवभूमि क्षत्रिय राजपूत सेना नेे कहा कि हमें राजनीति नहीं करनी, लेकिन एकजुटता से इस पित्रों की भूमि को बचाने के लिए अगर जरूरत पड़ी तो राजनीति करने के लिए तैयार रहना हाेगा।

उत्तराखंड जनपद पाैडी गढ़वाल में देवभूमि क्षत्रिय राजपूत सेना के संस्थापक सदस्यों ने कहा कि यह सत्य है क़ि संगठन का निर्माण राजपूत समाज के हकों की लड़ाई के लिए लड़ना है लेकिन इसका ये बिल्कुल मतलब नहीं कि हम उत्तराखण्ड के मूल मुद्दों पर शाँत बैठेंगे, मूल मुद्दों पर हमें सर्वसमाज का साथ चाहिए, इसलिए पूरे उत्तराखंड के सर्व समाज काे जोड़ने की भी मुहिम चलाकर सभी को जोड़ा जा रहा है क्योंकि हमारे पित्रों की बसाई इस भूमि के अनगिनत मुद्दे ऐसे हैं जिसपर सबको साथ चलना पड़ेगा इसलिए जो भी बन्धू उत्तराखंड के मुद्दों पर उत्तराखण्ड के भले के लिये देवभूमि क्षत्रिय राजपूत सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कुछ करने का ज़ज़्बा और ज़ूनून रखता है और अपनी ऊर्जा-ताकत सोच-विचार को उत्तराखंड के काम में लगाना चाहता है वो हमसे जुड़ सकते हैं ।

साथियों ताली हमेशा दो हाथों से बजती है उत्तराखंड की बर्बादी के लिये हम जनता भी बराबर की जिम्मेदार है। 18 वर्षों से हम तमाशा देखते आ रहें और उत्तराखंड/पहाड़ बर्बादी के गर्त में गिरता चला जा रहा है।

जनता ने 17 वर्षों में सभी राजनीतिक पार्टियों को अदल बदलकर मौका दिया परंतु सभी पार्टियों ने जनता के जख्मों का ईलाज करने के बजाय जख्मों पर नमक छिड़क कर जनता के जख्मों को गहरा करते चले गए। उत्तराखंड की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था सड़ गल चुकी है। नेताओं और सरकारों की कारगुजारियों ने पहाड़/उत्तराखंड को दीमक की तरह खोखला कर दिया है। उत्तराखंड की इस सड़ी गली व्यवस्था को बदलने की जरूरत है। अब सवाल बनता है कि कौन व्यवस्था को बदलने की जिम्मेदारी उठायेगा ? कोई बाहर से नही आएगा हमें स्वयं यह करना होगा। साथियों किसी भी देश प्रदेश और समाज को आगे ले जाने और एक नई दिशा देने की जिम्मेदारी वहाँ के रैवासियाें की होती है
इसलिये देवभूमि क्षत्रिय राजपूत सेना उत्तराखंड के सभी रैवासियाें को एकजुट कर उत्तराखंड में बदलाव लाना चाहती है एकजुटता से हर स्तर पर।

जब तक पहाड़/उत्तराखंड का रैवासी प्रवासी सोता रहेगा तब तक ये नेता नगरी उत्तराखंड को उदण्ड करती रहेगी। हमारी गलती के कारण ये नेता और सरकारें मनमानी पर उतर आई है उन्हें पता है कि जनता नाराज भी हुई तो 5 साल बाद उधर चली जायेगी फिर उधर नाराज होगी तो फिर 5 साल इधर आ जायेगी मतलब देवभूमि लुटती रहेगी यूँ ही हमारे खुद के द्वारा इन्हें इधर उधर बार बार मौका देकर | यदि इनके खिलाफ एकजुट होकर सड़को पर उतरकर विरोध किया होता तो आज यह स्थिति नही आती।
सच्चाई यह है कि आज उत्तराखंड का आम जनमानस और युवा उत्तराखंड की इस सड़ी गली राजनीतिक व्यवस्था से तंग आ चुका है परंतु सड़को पर उतरकर अपनी आवाज उठाने और विरोध करने में अकेला महसूस होने के कारण झिझक रहा है। इसलिये इन नेताओं के खिलाफ साेसल मीडिया पर अपनी भड़ास निकालकर संतुष्ट तो है परंतु आत्मसंतुष्टि नही है। याद रखियें सिर्फ सोशल मीडिया पर भड़ास निकालने से कुछ नही होगा। उत्तराखंड के नेताओं और सड़ी गली राजनीतिक व्यवस्था को बदलने के लिए हमें इनके खिलाफ हर स्तर पर तयार रहना होगा सोशल मीडिया पर भी और धरातल पर भी । फर्क तभी पड़ेगा बदलाव तभी आएगा
जब राजधानी गैरसेण व पहाड़ में चकबंदी आदि की माँग, व शराब के नशे, ब्लॉक/तहसील की कमीशनखोरी, सड़क, पानी, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, खेती को जंगली जानवरों से बचाव, बेरोजगारी और पलायन जैसे मुद्दों पर उत्तराखंड के रैवासी प्रवासी सड़को पर उतरकर हल्ला बोल आंदोलन करेंगे।

आज सर्व समाज के अंदर ही अंदर असंतोष का ज्वालामुखी धधक रही है इस ज्वालामुखी को सड़को पर बाहर निकालने के लिए देवभूमि क्षत्रिय राजपूत सेना आप उत्तराखण्ड वासियों से सहयोग चाहती है।।

नेताओं ने युवाओं को रोजगार तो नही दिया परंतु उत्तराखंड/पहाड़ के युवाओं को झंडे डंडे उठाने और जिंदाबाद करने वाला अपना मजदूर बना दिया है | हालात इतने बद से बदत्तर हो गए हैं कि गली खड़ंजे के काम के लालच में युवा इनकी गंदी राजनीति का मोहरा बन गया है।
इन 17 वर्षों में राजनीतिक पार्टियों और उनके नेताओं ने उत्तराखंड को बर्बाद करके रख दिया है | एक ओर इन नेताओं ने विकास का पैसा कागजी घोषणापत्र और टोकन मनी में दिखाकर सारा पैसा अपनी जेबों में भरा है तो दूसरी तरफ सड़क पानी शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार देने और नये स्कूल कॉलेज अस्पताल उद्योग खोलने की बजाय गरीब जनता को शराब के नशे में धकेला है। जिसका परिणाम है कि आज पहाड़ में ईलाज की दवा और पीने के पानी को जनता तरस रही है अबजब सरकारें गाँव गाँव में शराब आसानी से पहुँचा सकती हैं तो 17 साल में मूलभूत सुविधाएं क्यों नहीं पहुंचा सकती। उत्तराखंड बनने के बाद शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के स्तर में तेजी से गिरावट आई है और दुर्भाग्यपूर्ण है क़ि पलायन कम होने की बजाय पलायन बढ़ा है। बेरोजगारी को रोकने के लिये सरकारों ने पहाड़ में उद्योग तो नहीं लगाये परंतु पहाड़ के कोने कोने में शराब के ठेके खोलकर बेरोजगार युवाओं को नशे में जरूर धकेला है। जबकि इन्ही समस्याओं से जुड़े प्रश्नों को लेकर उत्तराखंड राज्य के लिये आंदोलन हुआ और उत्तराखंड राज्य बना। 17 वर्षों के बाद आप यह प्रश्न दैत्याकार रूप ले चुके हैं। जो उत्तराखंड/पहाड़ की जनता का नोंच नोंचकर खा रहे हैं।
17 वर्षों में सरकारें मनमानी करती गई विनाशकारी फैसलें लेती गई। परंतु जनता विशेषकर युवा वर्ग ने इन सरकारों के खिलाफ सड़को पर उतरकर कोई विरोध नही किया। युवाओं को समझना होगा कि सरकारों की गलत नीतियों का सड़को पर उतरकर विरोध करना हमारा लोकतंत्रिक कर्तव्य और अधिकार है और सविंधान ने हमें यह अधिकार दिया है।

उत्तराखंड के सभी युवा साथियों से अपील है कि वे देवभूमि क्षत्रिय राजपूत सेना से जुड़े और उत्तराखंड में बदलाव की इस मुहिम का हिस्सा बनें।

जबतक इनको एकजुटता का डर नहीं दिखाओगे ये मिलकर हमें इधर उधर नचाकर अपना हित साधते रहेंगे और उत्तराखण्ड को पीछे धकेलते रहेंगे ।।
जितने भी समस्त भारत और उत्तराखण्ड में रह रहे उत्तराखण्डी बन्धू उत्तराखण्ड के पित्रों की बसाई भूमि को बचाने के लिए साथ देना चाहते हैं वो जल्द से जल्द जुड़ें ,,,ताकि आगे का नितिनिर्धारण किया जा सके,,,

– पौड़ी से इन्द्रजीत सिंह असवाल की रिपोर्ट

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