आजमगढ़ – सिधारी स्थित श्री गौरी शंकर मंदिर के प्रांगण में सावन मास में चल रहे श्री शिवमहापुराण कथा के 26वें दिन कथा वाचक ने श्री सोमनाथ ज्योर्तिलिंग एवं मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग का श्रद्धालुओं के सम्मुख विस्तार से वर्णन किया।
कथा वाचक अजय भारद्वाज ने श्री शिवमहापुराण कथा के अनुसार भक्तों को बताया कि दक्ष राजा की 60 कन्याओं में से 26 ने चन्द्रमा के साथ विवाह किया। चन्द्रमा रोहिणी नाम वाली पत्नी से अधिक प्रेम करते थे। इस बारे में 27 कन्याओं ने पिता दक्ष से चन्द्रमा के बारे में बताया। राजा दक्ष चन्द्रमा को समझाने चन्द्रलोक गये। लेकिन चन्द्रमा को दक्ष की बात समझ में नहीं आयी। इससे नाराज राजा दक्ष ने चन्द्रमा को श्राप दिया कि तुम्हे क्षय रोग उत्पन्न होगा। दक्ष राजा के श्राप के कारण चन्द्रमा श्रपित हुए और उन्हे क्षय रोग हुआ। चन्द्रमा के प्रति चिंताजनक होते हुए सभी देवताओं ने चन्द्रमा से बताया कि आप श्रीशिव भगवान की कठोर तपस्या करा तभी तुम्हारा क्षय रोग खत्म होगा। देवताओं के बताने पर श्रीशिव की घोर तपस्या किया। इससे प्रसन्न होकर शिव प्रकट हुए और उनके दर्शन मात्र से ही चन्द्रमा का क्षय रोग खत्म हो गया। वहां पर श्री सोमनाथ ज्योर्तिलिंग के रूप में प्रकट हुए यह सदा शिव श्री ज्योर्तिलिंग के रूप में विख्यात हुए।
कथा वाचक अजय भारद्वाज ने मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग के बारे में बताते हुए कहाकि श्री शिव के दो पुत्र कार्तिकेय और गणेश थे। गणेश का कार्तिकेय से पहले विवाह होने पर कार्तिकेय नाराज हो जाने पर एक पर्वत की ओर चले गये और वहां पर उन्हे अशय का वरदान दिया। श्री शिव पार्वती जी के शैल पर्वत पर श्री मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग नाम से विख्यात हुआ।
रिपोर्ट-:राकेश वर्मा आजमगढ़