शांत हो गयें हिंदी गीतों के सरताज: महाकवि ‘नीरज’ ने एम्स में ली अंतिम सांस

दिल्ली- पद्मभूषण महाकवि गोपाल दास ‘नीरज’ का गुरुवार शाम को दिल्ली एम्स में निधन हो गया। शाम करीब 7.50 मिनट पर गोपाल दास नीरज ने अंतिम सांस ली। सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें आगरा में भर्ती कराया गया था। बाद में बुधवार को आगरा से दिल्ली के एम्स अस्पताल लाया गया, जहां उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया था।

गोपाल दास नीरज:-
93 वर्षीय गोपाल दास नीरज का जन्म 4 जनवरी 1924 यूपी के इटावा जिले के पुरावली गांव में हुआ था। नीरज की कविताएं और गीत युवा दिलों की धड़कन कही जाती हैं। यही नहीं उनके फिल्मों के लिए गीत लेखन में उन्हें तीन बार फिल्म फेयर अवार्ड से नवाजा जा चुका है। उन्हें 1991 पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 2007 में पद्मभूषण सम्मान मिला। उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें यश भारती सम्मान से नवाजा।
बॉलीवुड की फिल्मों के लिए गोपाल दास नीरज ने कई मशहूर नगमे लिखे, जो आज भी लोगों को जुबां पर हैं। उनका गीत ए भाई जरा देख के चलो आज भी लोगों की जुबान पर रहता है। इसके अलावा, कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे…मोहम्मद रफी की आवाज में उनका लिखा यह गाना आज भी लोगों के दिलो दिमाग पर है।

* तमाम उम्र मैं इक अजनबी के घर में रहा.
सफ़र न करते हुए भी किसी सफ़र में रहा

वो जिस्म ही था जो भटका किया ज़माने में,

हृदय तो मेरा हमेशा तेरी डगर में रहा.
नीरज
* बेचे कुर्सी के लिए कितनों ने ईमान,
डर है कहीं बेच न दें ये कल हिंदुस्तान.
नीरज
* गीत वही है सुन जिसे, झूमे सब संसार,
वर्ना गाना गीत का, बिलकुल है बेकार.
नीरज

– सुनील चौधरी

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