इलाहाबादः इलाहाबाद हाइकोर्ट ने सरकारी अधिकारियों के प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने पर सख्त रवैया अपनाया है। कोर्ट ने कहा है कि ऐसे अधिकारी, कर्मचारी जो सरकारी अस्पताल के बजाए प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराएं, उनके इलाज खर्च की भरपाई सरकारी खजाने से न की जाए। साथ ही कोर्ट ने सभी सरकारी अस्पतालों की अॉडिट एक वर्ष के भीतर पूरी करने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने इलाहाबाद की स्नेहलता सिंह व अन्य की जनहित याचिका पर दिया है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देशों का पालन सुनिश्चित कराने तथा कार्रवाई रिपोर्ट 25 सितंबर को पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मोती लाल नेहरू मेडिकल कालेज के ट्रामा सेंटर के हालात पर भी रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों व स्टॉफ के खाली पदों में से 50 फीसदी 4 महीने में तथा शेष अगले 3 महीने में भरने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने हर स्तर के सरकारी अस्पतालों में गुणवत्तापूर्ण दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया है। कोर्ट ने कैग को सरकारी अस्पतालों व मेडिकल केयर सेन्टरों की अॉडिट 2 माह में पूरी करने का आदेश दिया है।