जनजाति उपयोजना क्षेत्र के विकास कार्यों को प्राथमिकता से पूरा करें: राज्यपाल

जयपुर/राजस्थान। राज्यपाल कल्याण सिंह ने कहा है कि जनजाति उपयोजना क्षेत्र में विकास कार्यों को प्राथमिकता से पूरा किया जाये। आदिवासियों के लिए चलाई जा रहीं योजनाओं के संचालन में किसी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जनजाति उपयोजना क्षेत्र के विकास कार्यों में शिथिलता दिखाने वाले विभागों को चिन्हित करें और लापरवाही करने वालो को दण्डित किया जाये।
महामहिम ने आज राजभवन में जनजाति कल्याण से सम्बन्धित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए श्री सिंह ने कहा कि आदिवासियों के विकास कार्यों के निस्तारण में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनायें। उन्होंने बैठक में ही कार्य पूरा करने की कट आॅफ डेट भी अधिकारियों से पूछ ली। उल्लेखनीय है कि संविधान के अनुच्छेद 244 व अनुसूची 5 के तहत जनजातियों के सर्वागीण विकास हेतु राज्यपालों को विशेष जिम्मेदारी मिली हुई है। राज्यपाल ने बताया कि अगली बैठक 31 जनवरी, 2019 को होगी।
उन्होंने कहा कि जनजाति उपयोजना क्षेत्र में स्वीकृत शत-प्रतिशत पदों को भरा जाना हमारी जिम्मेदारी है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्थानान्तरण नीति ऐसी होनी चाहिए, जिसमें कर्मचारियों का ‘इन फ्लो’ गैर आदिवासी क्षेत्र से आदिवासी क्षेत्र में हो। उन्होंने कहा कि जब तक यह लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाए तब तक इन-फ्लो को जारी रखते हुए आदिवासी क्षेत्र से गैर आदिवासी क्षेत्र में ट्रांसफर (आउट फ्लो) को हतोत्साहित किया जाए।
उन्होंने कहा कि वन अधिकार अधिनियम 2006 में वनों में निवास करने वालों के अवशेष पट्टों के लिए ग्राम सभावार कार्य योजना तैयार की जाए। उन्होंने कहा कि जिला कलक्टर इस मामले की मासिक समीक्षा करें। दावों के निस्तारण में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया जाए। श्री सिंह ने कहा कि आदिवासी पिछडे़ लोग है। कई स्थानों पर तो यह लोग इंसानों जैसी जिदंगी भी नही जी रहे हैं। यह लोग सम्मानजनक जीवन-यापन कर सकें, इसके लिए हमें प्रयास करने होगें। उन्होंने बताया कि उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विष्वविद्यालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विष्वविद्यालय तथा बांसवाड़ा के गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय द्वारा अनुसूचित क्षेत्र में गांवों को गोद लेकर वहां ग्रामीण युवाओं को रोजगार एवं स्वरोजगार के सृजन हेतु कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। जनजातीय क्षेत्रीय विकास विभाग, कौशल एवं आजीविका विकास निगम, वन एवं अन्य सम्बन्धित विभाग विश्वविद्यालयों को इस कार्य में सहयोग करें। इस योजना को टीएडी द्वारा जनजातीय क्षेत्र के सभी गांवों में लागू किया जाए। उन्होंने आदिवासियों के बीमा मामले पर आये शिकायत के प्रकरणों पर कहा कि एसओजी से जांच में तेजी लाने के लिए कहा। राज्यपाल ने कहा कि पशुधन को आर्थिंक दृष्टि से उपादेय बनाया जाए। इस हेतु पशु चिकित्सा विभाग उन्नतशील प्रजातियों के पशु उपलब्ध करवाने, नस्ल सुधार, मौसमी बीमारियों से बचाने के लिए विशेष अभियान चलाए।
बैठक में विभिन्न विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, महाराणा प्रताप कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मोहनलाल सुखाड़िया विश्ववि़श्वविद्यालय व जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति सहित जनजातीय क्षेत्रीय विकास विभाग व राजभवन के अधिकारीगण मौजूद थे।
दिनेश लूणिया की रिपोर्ट

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