मीरजापुर -मामला विकास खण्ड राजगढ़ अंतर्गत पड़ने वाला सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र राजगढ़ का है।सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सको ने एक सरल उपाय निकाल लिया है कि कोई भी और कैसा भी मरीज आये उस मरीज को बिना हाथ लगाए मण्डलीय चिकित्सालय मिर्ज़ापुर रेफर ही करना है।इसका एक उदाहरण आज भी देखने को मिला जब करौदा पहड़ी निवासी अर्जुन उम्र 20 वर्ष ने विषाक्त पदार्थ का शेवन कर लिया।उसको लाकर गाँव के दो लोगो ने भर्ती करा दिया और निकल लिए।ड्यूटी पर उपस्थित चिकित्सक सन्तलाल ने उसका इलाज करने के बजाय उसको रेफर कर उसका मेमो दिया।मेमो लेकर आये का0 शैलेश यादव ने जब चिकित्सक सन्तलाल से कहा कि इसकी हालत गम्भीर भी नही है और आप ने इसको रेफर कर दिया ।इतना सुनते ही चिकित्सक उनसे उलझ गया और कहासुनी करने लगा।तभी प्रभारी अधिकारी डॉ डी के सिंह आ गए और मरीज को देखा और उसका इलाज करने लगे कुछ देर बाद मरीज को आराम हो गया।मुख्य विषय यह है कि एक चिकित्सक जब उसी मरीज इलाज कर ठीक कर सकता है तो बाकी लोग रेफर कर खाना पूर्ति क्यों करने में लगे है।समाचार लिखे जाने तक मरीज को पूर्ण रूप से आराम हो चुका है।अगर मरीज यही ठीक हो सकता था तो डॉ सन्तलाल ने रेफर क्यों किया।गरीब जनता को परेशान क्यों किया जा रहा है।अगर वही मरीज कमरे पर आता तो रात भर जाग कर उसकी दवा की जाती और अस्पताल में तुरंत रेफर।
मीरजापुर से बृजेन्द्र दुबे की रिपोर्ट