बरुआसागर(झाँसी)निजी बस संचालकों के निर्धारित स्थल सहित नियम सम्बत बस स्टैंड के अंदर ना आने से यात्रियों सहित अन्य लोगों की जान जोखिम में बनी हुई है। साथ ही वहीं यात्रियों को भी अच्छी खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। निजी बसों में यात्रा कर रहे यात्रियों ने विभाग की लचर व्यवस्था के प्रति रोष जताया है।नगर सहित बस स्टैंड के यात्रियों का आरोप है कि नियम संगत यह है कि प्राइवेट प्रत्येक बस बस स्टैंड के अंदर आते हुए निर्धारित स्थान पर सवारियों को उतारेगी,लेकिन जिम्मेदार की उदासीनता के साथ बस चालकों की मनमानी के चलते सभी की जान माल का खतरा बना हुआ है।कोई निश्चित जगह बसों के ना रुकने के कारण सवारियां बसों पर सवार होने के चक्कर मे इधर उधर भागती नजर आती है।और तमाम बार देखा जाता है कि तमाम सवारियों को बस पकड़ने के चक्कर मे घायल भी हो चुके है।लेकिन निजी बस संचालक नियमों को तोड़ते हुए न तो अपने रूट पर चलते है ओर न ही किसी कानून की पालन करते हैं। इन बसों का स्टैण्ड पर खडे़ होने का समय निर्धारित है, लेकिन ये बसें तय समय से अधिक समय तक स्टैण्ड पर खड़ी रहती है। यदि इनके चालकों को मना करें तो ये झगडे़ पर उतारू हो जाते हैं।नगर मे स्थित बस स्टैंड मे यात्री बसों के परिचालन को लेकर नगर वासियों ने थाना में आयोजित होने वाली पीस कमेटी की मीटिंग में कई बार मुद्दा उठाया जा चुका है।लेकिन कोई कार्यवाही ना होने के कारण बस संचालको के हौंसले बुलंद बने हुए है।नगर के बस स्टैंड मे रात होते ही यात्री बसों का आना जाना बंद हो जाता है यात्री बस संचालक सवारियों को अपनी मन मर्जी के हिसाब से बाहर यात्री को उतार देते है। जिससे सफर करने वाले महिलाओं सहित बुजुर्ग व्यक्तियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है आपको बता दे की लगभग 150 यात्री बसों का स्टापेज नगर के बस स्टैंड मे है पर यात्री बसों के संचालको के मनमानी से बसों में यात्रा करने वालों यात्री को बहुत परेशानी होती है।बस से उतर कर शहर लगभग 1 किलोमीटर यात्रियों को पैदल चलना होता है खास कर रात को महिला वर्ग के यात्री को राष्ट्रीय राजमार्ग से पैदल घर तक आना होता है बस स्टैंड मे बस रात मे नही आने से सभी को परेशानी होती है।नगर के तमाम संगठनों सहित नगरवासियों ने सम्बन्धित अधिकारियों से जनहित को ध्यान में रखते हुए बसों को अंदर आने सहित यथा स्थान पर रुकने के हेतु कार्यवाही किये जाने की मांग की है।
रिपोर्ट– अमित जैन, उमेश रजक बरुआसागर