उदला – परिवार से लेकर पूरे क्षेत्र तक, जगन्नाथ के प्रति अपनी गहरी भक्ति और ईमानदारी पर गर्व महसूस किया जा रहा है। मयूरभंज जिले के शिमिलिपाल क्षेत्र अंतर्गत उदला अधिसूचित क्षेत्र परिषद के वार्ड क्रमांक 8 निवासी, स्वर्गीय बिरंची नारायण महांती (बड़े पापूर) के पुत्र युवा कलाकार तुषार महांती ने क्षेत्र का नाम रोशन किया है।
कम उम्र में ही तुषार अपने बड़े पिता रवि नारायण महांती से प्रेरित हुए, जो एक प्रसिद्ध मूर्ति कलाकार थे। उनके आदर्शों और मार्गदर्शन से प्रभावित होकर तुषार ने वर्ष 2015 से नीम की लकड़ी से छोटी से लेकर बड़ी सुंदर मूर्तियाँ बनाना शुरू किया। उन्होंने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, माता सुभद्रा और सुदर्शन की चतुर्भुजी प्रतिमाएँ बनाकर पूरे क्षेत्र को गौरवान्वित किया है।
तुषार ने सबसे छोटी भगवान जगन्नाथ की मूर्ति, जो खुली आँखों से दिखाई नहीं देती, मात्र 15 मिनट 51 सेकंड में 0.8 माइक्रोमीटर आकार में तैयार कर पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। वे लगातार एक के बाद एक रिकॉर्ड अपने नाम कर रहे हैं।
इससे पहले वे एशियन बुक ऑफ रिकॉर्ड, इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान प्राप्त कर चुके हैं। इसके अलावा उन्हें कल्कि गौरव अवॉर्ड 2025, OMG बुक ऑफ रिकॉर्ड 2025, कल्कि वर्ल्ड रिकॉर्ड 2025 और इन्फ्लुएंसर बुक ऑफ वर्ल्ड 2025 जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से भी नवाजा गया है।
अब उन्होंने भगवान जगन्नाथ की इस सूक्ष्म मूर्ति के साथ एक्स-कलु शिव वर्ल्ड रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया है। तुषार अपनी इस सारी सफलता का श्रेय बड़े ठाकुर भगवान जगन्नाथ को देते हैं। उनका कहना है कि यह सब भगवान जगन्नाथ की इच्छा और उनकी कृपा से, साथ ही अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर संभव हो पाया है।
आज पूरा क्षेत्र तुषार महांती पर गर्व महसूस कर रहा है। तुषार एक ऐसे अनोखे कलाकार हैं, जो आज दूसरों के लिए प्रेरणा और मिसाल बन चुके हैं।
अगर आप चाहें, तो मैं इसे समाचार पत्र के लिए, सोशल मीडिया पोस्ट, या प्रेस रिलीज़ के रूप में भी अलग शैली में तैयार कर सकता हूँ।
