लखनऊ: राजधानी लखनऊ के पुराना नजफ़, नवाज़गंज में एक गरिमामयी मजलिस-ए-अज़ा का आयोजन किया गया। इस मौके पर आफ़ताब-ए-मिल्लत, ख़तीब-ए-अहल-ए-बैत (अ.स.) मौलाना जावेद हैदर ज़ैदी ने भावनात्मक और प्रभावशाली अंदाज़ में तक़रीर पेश की।
अपने संबोधन का विषय मौलाना ज़ैदी ने क़ुरआन-ए-करीम की महान आयत-ए-सादिक़ीन को बनाया। उन्होंने कहा कि सच्चाई और अहल-ए-बैत (अ.स.) की राह पर क़ायम रहना मोमिन की असली पहचान और ईमान व अमल की सबसे बड़ी सफलता है।
मौलाना ने कहा, “मोमिन के लिए सबसे बड़ी कामयाबी यह है कि वह सच को अपना शिआर बनाए और अहल-ए-बैत (अ.स.) की सीरत पर पूरी मज़बूती से क़ायम रहे।”
मजलिस के समापन पर आफ़ताब-ए-मिल्लत ने बेहद दर्दनाक अंदाज़ में अहल-ए-हरम की मदीना वापसी के मसाएब बयान किए। माहौल ग़मगीन हो उठा और अज़ादारों की आंखें अश्क़बार हो गईं।
अपने आख़िरी पैग़ाम में मौलाना ज़ैदी ने कहा कि कर्बला का असली सबक यही है कि इंसान ज़ुल्म के मुक़ाबले में सब्र, सच्चाई और वफ़ादारी के साथ डटा रहे। उन्होंने समाज से अपील की कि हम सबको अपनी ज़िंदगी में अहल-ए-बैत (अ.स.) की तालीमात को अमल में लाना चाहिए और इंसाफ़, मोहब्बत व एतिहाद को बढ़ावा देना चाहिए।