बरेली। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने सोमवार को मुस्लिम एजेंडा जारी किया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज मे बुराइयां बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं। इसके खिलाफ आंदोलन चलाया जाएगा। मुस्लिम समाज को इस वक्त कुछ ऐसी बुराइयों से बचने की जरूरत है जो सामाजिक, धार्मिक, और नैतिक रूप से नुकसान पहुंचा सकती है। मौलाना ने बताया कि राजनीतिक मैदान में बरेलवी बहुत पीछे है। बरेलवी उलमा ने सियासत को सीधे तौर पर पसंद नहीं किया। नौजवानों को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिल सका। मगर अब देश के सियासी हालात में जरूरत पेश आई है कि बरेलवियों को भी राजनीति के मैदान में कदम रखना चाहिए। इसलिए अब हर जिले में बरेलवी लीडरशिप को उभारा जाएगा। राजनीतिक मैदान में दमखम के साथ नुमाइंदगी (प्रतिनिधित्व) किया जाएगा। रजवी ने कहा कि पैगंबर-ए-इस्लाम ने शिक्षा हासिल करने पर जोर दिया है। कुरान शरीफ में खुदा ने सबसे पहली आयत पैगंबर ए इस्लाम पर नाजिल (उतारी) की वो भी शिक्षा पर आधारित है। मुसलमान शिक्षा के क्षेत्र में अभी भी दूसरी कौमों से बहुत पीछे हैं। इसलिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों पर तकिया रखकर भरोसा करने की जरूरत नहीं है, बल्कि खुद मुसलमानों को अपनी नयी नस्ल की तालीम और तरबियत के लिए खड़ा होना होगा, वरना पीछे ढकेल दिए जाएं। मौलाना रजवी ने मुस्लिम समाज की शादियों में बढ़ती फिजूलखर्ची और दिखावे पर रोक लगाने की अपील की। उन्होंने कहा कि शादी को इस्लाम ने आसान बनाया है लेकिन आज यह महंगा और बोझिल कर दी गई है। दहेज की मांग और नुमाइश नाजायज है। वहीं बारात, वलीमा और हॉल बुकिंग पर होने वाली फिजूलखर्ची बंद होनी चाहिए। शादियों में खड़े होकर खाने की परंपरा शरीयत के खिलाफ है, बैठकर खाने की व्यवस्था होनी चाहिए। रजवी ने कहा कि आज कई नौजवान नशे के शिकार हो चुके हैं, जिससे परिवार और समाज दोनों प्रभावित हो रहे हैं। इसके लिए मस्जिदों के इमाम और समाज के बुद्धिजीवी आगे आएं। उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों को जलसा, जुलूस और उर्स में होने वाली जरूरत से ज्यादा फिजूलखर्ची से बचना चाहिए। मौलाना रजवी का साफ कहना था कि समाज को आत्मनिरीक्षण करते हुए शिक्षा, सादगी और सुधार की राह पर चलना होगा, तभी तरक्की संभव है।।
बरेली से कपिल यादव