बरेली। जिला कारागार बरेली के जेलर सुशील वर्मा का बड़ा कारनामा सामने आया है। जेलर ने न्यायालय मे रिमांड की तारीख से पहले बिना अनुमति चोरी के माल सहित पकड़े गए अभियुक्त को न्यायालय सिविल जज जलालाबाद भेज दिया। शाहजहांपुर मे अभियुक्त किस किस से मिला, कहां-कहां रुका, इसका विवरण भी जेलर के पास नही है। मामले की गंभीरता देखते हुए अपर सिविल जज (जूनियर डिवीजन) शाहजहांपुर ने मजिस्ट्रेट जांच कराने के जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिए। जिला मजिस्ट्रेट के निर्देश पर नगर मजिस्ट्रेट बरेली ने मजिस्ट्रेटी जांच शुरू कर दी है। अपर सिविल जज (जूनियर डिवीजन) शाहजहांपुर के 24 जून के आदेश के अनुसार थाना कलान से चोरी के माल सहित पकड़े जाने (धारा 303 (2), 317 (2) भारतीय न्याय संहिता) के केस में अभियुक्त राजीव शर्मा को न्यायालय सिविल जज जलालाबाद मे 19 मई को रिमांड के लिए प्रस्तुत किया था, न्यायालय ने अभियुक्त की रिमांड 29 मई तक स्वीकृत की। पुनः अभियुक्त को न्यायालय के समक्ष रिमांड के लिए 29 मई को पेश किया, जहां अभियुक्त की रिमांड 12 जून तक स्वीकृत की। अभियुक्त 12 जून को वीसी रिमांड में उपस्थित हुआ। जिस पर न्यायालय ने अग्रिम रिमांड 26 जून तक बढ़ाई यानि अभियुक्त की रिमांड के लिए अगली नियत तिथि 26 जून थी। आरोप है कि बरेली जिला कारागार के जेलर सुशील वर्मा ने अभियुक्त को 23 जून को ही शाहजहांपुर भेज दिया जबकि उस दिन न्यायालय ने अभियुक्त को तलब भी नही किया था। न्यायालय ने कहा है कि जेलर सुशील वर्मा के स्पष्टीकरण से स्पष्ट है कि उन्होंने बिना किसी न्यायालय आदेश के अभियुक्त को स्वयं अपने विवेक पर जिला बरेली से जिला शाहजहांपुर कोर्ट के लिए भेज दिया। जेल से निकलने के समय से लेकर जेल में वापस जाने तक के समय में अभियुक्त ने किन-किन से मुलाकात की, रास्ते में क्या-क्या किया, इसकी कोई जानकारी जेलर सुशील वर्मा के पास नही थी। यह अत्यंत आपत्तिजनक व खेदजनक है। न्यायालय ने जिला मजिस्ट्रेट से संपूर्ण प्रकरण की मजिस्ट्रेटी जांच कराकर जांच आख्या अतिशीघ्र न्यायालय को उपलब्ध कराने की अपेक्षा की है।।
बरेली से कपिल यादव