मणिहारी में किसानों पर लाठीचार्ज पर भड़के विधायक भाटी — कहा, “जनता की नहीं, कंपनियों की भाषा बोल रहा है प्रशासन”

राजस्थान/बाड़मेर- शिव विधानसभा क्षेत्र के मणिहारी गांव में शनिवार को उस वक़्त हालात तनावपूर्ण हो गए जब बिजली कंपनियों द्वारा ग्रामीणों की कृषि भूमि पर बिना किसी पूर्व सूचना, उचित मुआवज़ा अथवा विधिक सहमति के हाईटेंशन टावर लगाने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया। इस अतिक्रमण के विरोध में जब ग्रामीणों ने शांतिपूर्वक विरोध दर्ज कराया, तो पुलिस प्रशासन ने उल्टे ग्रामीणों पर ही बल प्रयोग करते हुए लाठीचार्ज कर दिया।

पुलिस कार्रवाई की नृशंसता इस हद तक बढ़ गई कि विरोध कर रही महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया। जानकारी के अनुसार, कई महिलाओं को जबरन हिरासत में लिया गया, जिनमें एक ऐसी माँ भी शामिल है जिसका मात्र दो माह का शिशु है। स्थानीय लोगों ने इसे ‘तानाशाहीपूर्ण दमन’ करार देते हुए प्रशासन की मंशा और कार्यप्रणाली पर गम्भीर सवाल उठाए हैं।

इस घटना की सूचना मिलते ही शिव क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने तत्काल मणिहारी गांव पहुंचकर पीड़ित ग्रामीणों से मुलाकात की और फिर ग्रामीण प्रतिनिधियों के साथ सीधे पुलिस थाने पहुंचे। वहां विधायक भाटी ने पुलिस अधिकारियों से इस अनुचित कार्रवाई का कारण पूछा और दोषियों पर तत्काल कार्यवाही की मांग की।

पुलिस द्वारा कोई संतोषजनक जवाब न दिए जाने और प्रशासनिक उदासीनता को देखते हुए, विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने ग्रामीणों के साथ मिलकर पुलिस थाने के समक्ष धरना शुरू कर दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा:

“पुलिस को जनता की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है, न कि कॉर्पोरेट कंपनियों के हितों की रक्षा के लिए। जिस प्रकार से बिना मुआवज़े के लोगों की ज़मीन ली जा रही है और विरोध करने पर महिलाओं तक को निशाना बनाया जा रहा है, यह लोकतंत्र के मूल्यों पर सीधा आघात है।”

विधायक भाटी ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि इस अमानवीय और अन्यायपूर्ण कार्रवाई की जांच कर दोषियों पर सख्त कार्यवाही नहीं की गई और पीड़ित परिवारों को न्याय नहीं मिला, तो वह यह धरना जारी रखेंगे।

मणिहारी गांव की यह घटना न केवल भूमि अधिकारों पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी उजागर करती है कि किस प्रकार से निजी कंपनियों के प्रभाव में आकर प्रशासन जनविरोधी रुख अपना रहा है। ग्रामीणों की मांग है कि तत्काल मुआवज़ा निर्धारण हो, ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए और पुलिस द्वारा किए गए बल प्रयोग की न्यायिक जांच हो।यह घटनाक्रम आने वाले दिनों में पश्चिमी राजस्थान की राजनीति और प्रशासनिक जवाबदेही पर एक बड़ी बहस को जन्म दे सकता है।

– राजस्थान से राजूचारण

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