सवाल कश्मीर का

दुनिया में कहीं जन्नत है तो अमीं हस्तो, अमीं हस्तों, अमीं हस्तों ये शब्द कभी मुगल बादशाह जहांगीर ने कश्मीर के लिए बोले थे, तो सवाल उठता है क्या कश्मीर का वज़ूद मुगलों से ही है। और क्या कश्मीर पर सिर्फ मुस्लिमों का ही हक है क्योकि जिस तरह से कश्मीर में हिन्दुओं का नरसंहार किया गया ये सोचने पर मजबूर कर देता है। कश्मीर भारत का ताज और स्वर्ग जिसे पुराणों के अनुसार कश्यप ऋषि ने अपनी सपनों की नगरी के रुप में बनाया था, जिसका पुराना नाम कश्यपकार या कश्मीर था, ऋषी कश्यप ने इस पूरे क्षेत्र को अपने तपोबल से सुखाकर रहने योग्य बनाया था, तब शायद उन्होने नहीं सोचा होगा, कि उनके सपनों की घाटी इस तरह हिन्दुओं के लहु से ही रक्तरंजित होगी। एक डाटा के मुताबिक आप से करीब ढेड़ हजार साल पहले इस खूबसूरत कश्मीर में मुगलों का राज़ शुरु हुआ जिसके बाद से कई मुगल शासकों ने यहां राज किया, इसी बीच मुगल साम्राज्य के विखंडन के बाद यहां पठानों ने यहां राज किया, जो कि कश्मीर में काला युग कहलाया, पठानों के बाद कश्मीर पर अंग्रेजों ने अपना वर्चस्व स्थापित किया और आजादी के समय विभाजन ने हमारा ताज रक्तरंजित होना और पड़ोसी पाकिस्तान अपना कब्जा बताने लगा इसके साथ ही कश्मीर राजनीति का केन्द्र बन गया। इसी कश्मीर की जब हिन्दु और बौध्द मिलकर जन्नत बना कर रखते थे तब पाकिस्तान ने अपने नापाक इरादों को अंजाम देते हुए, मुसलमानों को हिन्दुओं के खिलाफ बरगलाया, जिसके बाद शुरु हुआ 1980 के दौर जहां कश्मीरी पंडितों के खिलाफ मुस्लिमों ने वो नरसंहार शुरु किया जिसे आज के कश्मीर में लोग भूल गए और कश्मीर में कश्मीरियत का हवाला कश्मीर के लोगों और सरकार की तरफ से घड़याली आंसू 26 निर्दोष मासूमों की मौत के बाद लगातार बहाए जा रहे हैं……

पिछले 40 सालों में आतंकवादियों की तरफ से कश्मीरी हिन्दूओं का कत्ल करना, माताओं बहनों की अस्मत से खिलवाड़ करते हुए, कश्मीरी हिन्दुओं को उन्हीं के घरों को छोड़ने पर मजबूर करना, इसके साथ ही हिन्दुओं की आस्था को रक्तरंजित करते हुए, दर्जनों बार अमरनाथ यात्रा में आए श्रदालूओं को मौत के घाट उतार दिया गया, ये आंतकवादी यहीं नहीं रुके और कश्मीर में ऐसी दर्जनों घटनाऐं दोहराई गईं, जिसमें हमारे पड़ोसी पाकिस्तान में रह रहे रहनुमाओं नें देश की रक्षा कर रहे वीर सपूतों पर कश्मीरी युवाओं के हाथों से पत्थरों से हमले करवाए और सेना की पलटन पर हाल ही में उरी और पुलवामा कराया, लेकिन कभी कश्मीर के लोगों का दिल कभी नही पसीजा और न ही किसी कश्मीरी जनता ने कोई जुलूस निकाला, न तो काली पट्टी बांह पर बाधी फिर आज ऐसा कश्मीर में नया कौनसा हमला हुआ हो जिसमें हिन्दुओं का रक्त बहा और कश्मीर के आम लोग और कश्मीर की सियासत ने भी रोना पीटना शुरू कर दिया है, कभी सोचा है किसी ने….
कश्मीर मे हिंदुओं के खून को होली खेलना कोई नई बात नहीं है, ये तो पिछले 40-50 सालों से लगातार हो रहा है, लेकिन इस बार आतंकवादिय़ों ने कश्मीर की नस को छेड़ा है, जो कि है “पर्यटन” ये पर्यटन उस वक्त कभी इन आंतकी हमलो से प्रभावित नहीं हुआ था, चाहें फिर भारत के वीर सपूतों का खून बहा हो या धार्मिक यात्रा में आए श्रदालुओं का खून बहा हो, लेकिन धारा 370 हटने के बाद से कश्मीर का बड़ा वर्ग देशी और विदेशी पर्यटकों की आवाजाही से अपनी जीविका निरंतर चलाता है, और अब जब पाकिस्तान के रहनुमाओं की वजह से कश्मीर की नस यानि पर्यटन पर हमला किया गया है और कई टूरिस्टो ने अपनी कश्मीर घाटी घूमने कि योजना को रद्द करना शुरु कर दिया है तो कश्मीर में कश्मीरियत की दुहाई लगातार टीवी न्यूज, और सोशल मीडिया के माध्यम से दी जा रही है, और पर्यटको को बुलाने और लुभाने के लिए फ्री की स्कीमें दी जा रही है
कोई फ्री में होटल रहने को दे रहा है, तो कोई फ्री मे चाट खिला रहा है, और वाहन स्वामियों की तरफ से फ्री राईड ऑफर की जा रही है, और कुछ लोगों द्वारा उन 26 मासूमों की मौत को भूल कर फ्री चीजों का शौक से लुफ्त उठा रहे है, और कैमरा को देखते ही कश्मीर के निवासियों और उनके द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का महिमामंडन सबकुछ भूल कर करते जा रहे है, लेकिन यहां पर मेरा एक सवाल सत्ता में काबिज पूरी भारतीय जनता पार्टी के साथ हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से भी है…..पहलगाम की घटना के बाद से आक्रोश तो सभी में है…लेकिन आज इस आक्रोश में कोई भी उन कश्मीरी पंडितों को दोबारा उनकी वो जगह दिलाने की बात नहीं कर रहा है….जिस पर उन कश्मीरी पंडितों का हक है……
इसके साथ ही सबसे बड़ा सवाल अब ये भी है कि क्या कश्मीर में वो कश्मीरियत जिसकी कल्पना कश्मीर के लोग और व्यापारी रो रोकर कर रहे है, क्या वो वापस आ पाएगी……..मेरा जवाब है कभी नही; क्योंकि कश्मीर की पुरानी और युवा पीढी अपने द्वारा किए गए कश्मीरी पंडितों पर किए गए अत्याचारों को लेकर उन कश्मीरी पंडितों से सभी कश्मीरियों को माफी मांगनी चाहिए और 1980 में भगाए गए सभी हिंदुओं का अभिवादन करते हुए उन्हें उनकी घर वापसी के लिए फ्री सेवाएं दे, तो इस कश्मीर की कश्मीरियत एक बार फिर वापस आ जाएगी।

बरेली से अमर शर्मा

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