बरेली। बुधवार को पहले उर्स-ए-सकलैनी का कुल की रस्म के साथ समापन हो गया। देश विदेश से आए जायरीन ने कुल की रस्म में हिस्सा लिया। शाहबाद स्थित खानकाह पर जायरीन का तांता लगा रहा। कुल की रस्म से पहले उलमा ने सकलैन मियां की रूहानी जिंदगी पर रोशनी डाली। उलमा ने कहा कि सकलैन मियां ने इस्लाम व सिलसिले का परचम बुलंद किया। अल्लामा मुख्तार अशरफ ने कहा कि मियां हुजूर (सकलैन मियां) को अल्लाह ने वो इज्जत और शान अता की, जिसमें उनकी खामोशी ने ही पूरी दुनिया में इंकलाब पैदा कर दिया। पूरी दुनिया में उन्होंने इस्लाम व सिलसिले का परचम बुलंद किया। 11 बजे कुल की फातिहा की गई। कुल की फातिहा साहिबे सज्जादा शाह मोहम्मद गाजी मियां ने पढ़ी। गाजी मियां ने देश व कौम की सलामती के लिए खास दुआ भी की। मीडिया प्रभारी हमजा सकलैनी ने बताया कि कुल शरीफ के मौके पर खास तौर से सादकैन सकलैनी, असलम मियां वामिकी, अल्लामा आबिद सकलैनी, अल्लामा शाहिद शेख, मौलाना रिफाकत सकलैनी, मौलाना मुफ्ती फहीम सकलैनी, हाफिज गुलाम गौस, मौलाना मुख्तार तिलहरी, इंतिखाब सकलैनी, मुनीफ सकलैनी, सलमान सकलैनी, मुहिब्ब मियां, जिया राशिद, हाजी लतीफ, हाफिज आमिल, हसीब सकलैनी आदि मौजूद रहे। मीडिया प्रभारी हमजा सकलैनी ने बताया कि उर्स में अच्छी व्यवस्था बनाए रखने के लिए दरगाह की ओर से इंतजामिया कमेटी बनाई गई थी। जिसने उर्स में सभी व्यवस्थाओं को अच्छे तरीके से संपन्न कराने में अपना खास योगदान दिया। इंतजामिया कमेटी में मुकीत सकलैनी, गौस सकलैनी, निजाम सकलैनी, मन्ना सकलैनी, मुंतासिब सकलैनी, मुनीफ सकलैनी, इंतिखाब अहमद, इंतजार हुसैन, हाजी लतीफ सकलैनी, अशफाक सकलैनी, अबरार सकलैनी, अरशद खान सकलैनी, फैसल सकलैनी, सैयद राशिद, जमील सकलैनी, मोहसिन आलम, जाहिद सकलैनी, खुर्रम सकलैनी, शावेज सकलैनी, अकरम सकलैनी आदि का विशेष योगदान रहा।।
बरेली से कपिल यादव