बरेली। दरगाह शाहदाना वली के उर्स में मंगलवार को कुल की रस्म अदा की गई। अकीदतमंदों ने चादरपोशी और गुलपोशी के साथ ही खुशहाली की दुआ मांगी। उर्स का कार्यक्रम फज्र की नमाज के बाद शुरू हुआ। रसूले पाक की शान में नजराने पेश किए गए। कुल की रस्म में हिन्दुस्तान की तरक्की, खुशहाली के लिए दुआ की। मुफ्ती मोहम्मद तौसीफ रजा खां ने तकरीर में कहा पैगंबर ए इस्लाम ने हमें नमाज की पाबंदी करने की सीख दी है। नेक रास्ते पर चलो गरीबों की मदद करो और बुराइयों से बचो। परेशानियां खुद ही खत्म हो जाएगी। दरगाह के मुतवल्ली अब्दुल वाजिद खां ने कहा की हिंदुस्तान सूफी संतों की सरजमीं है। सूफी परंपरा हिंदुस्तान को एक सूत्र में पिरोने का काम कर रही है। खानकाहों व दरगाहों पर सभी धर्मों के लोग अकीदत के साथ आते हैं जो कौमी एकता की एक मिसाल है। इसके बाद कुल की रस्म में फनकारों ने अपने कलामों में सुफियान कलाम पेश कर बुजुर्गों की अकीदत का इजहार किया। खानकाहे तहसीनिया के सज्जादानशीन मौलाना हस्सन रजा खां ने कुल की फातिह पड़ी। सूफी रिजवान रजा खां ने हिंदुस्तान में भाईचारे, कौमी एकता की सलामती, कामयाबी, खुशहाली, बीमारों को शिफा, बेरोजगारों को रोजगार के लिए दुआ की। दरगाह के मीडिया प्रभारी वसी अहमद वारसी ने बताया की 11 नवंबर को शाम साढ़े चार बजे केले शाह बाबा के कुल की रस्म अदा की जाएगी।।
बरेली से कपिल यादव