उत्तराखंड/देहरादून- पुलिस को दोष देकर इतिश्री कर देने बाले गौ रक्षक अब मुंह छिपाते नजर आ रहें है।अब कोई भी पशु प्रेमी सामने नहीं आ रहा।लिहाजा पकड़े गये बैल अब पुलिस की गले की फांस बन गये है।
जानकारी के अनुसार कल सहसपुर पुलिस द्वारा धर्मावाला क्षेत्र में दो कुख्यात गौतस्कर गिरफ्तार किए गए थे जिनके कब्ज़े से 9 बैल मुक्त कराए गए जो कटान के लिए मुरादाबाद ले जाये जा रहे थे। थाना प्रभारी नरेश सिंह राठौर द्वारा तत्काल पशु चिकित्सक बुला सभी घायल बैलों का इलाज करवाया गया और तभी से पुलिस इंतज़ार में है कि कोई कथाकथित गौरक्षक या पशु प्रेमी सामने आए जो इन बैलों की ज़िम्मेदारी ले सके। लेकिन अफसोस 36 घन्टे बाद अब तक कोई नही फ़टका।
इसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे तथाकथित हिन्दू संगठन और पशु प्रेमी केवल चंदे के लिए और राजनीति के लिए ही है। अभी तक बजरंग दल/विहिप/संघ/जागरण और PFA/ PETA कोई भी सामने नही आया जबकि सोशल मीडिया से इसकी जानकारी अधिक्तर को हो चुकी है और पुलिस के इस कार्य को सोशल मीडिया पर सराहा भी गया।किन्तु वास्तविकता मे अभी तक कोई सामने नहीं आया।
जानकारी के अनुसार आज रात के 11 बजे तक कोई जिम्मेदारी लेने सामने नही आया और यह 9 बैल पुलिस चौकी धर्मावाला (थाना सहसपुर -देहरादून) में बंधे है जिनका सारा खर्च प्रभारी नरेश सिंह राठौड़ और चौकी प्रभारी रंजीत खनेड़ा उठा रहे है। मोटा- मोटा एक बैल दिन में 300 रुपये का चारा खाता है तो 9 बैल 2 दिन में अब तक 5400 रुपया का चारा खा चुके है। अब यह पैसा कौन देगा??? पुलिस को गाली देने वाले अब गौरक्षा का यह काम क्यो नही करते?
सबाल यह है कि पुलिस अपना काम करे या इन बैलों के चारे का इंतजाम करे और इनकी रखवाली करें। ईमानदार पुलिस अपने बच्चे पाले या यह बैल।
साभार -अमित तोमर