बरेली। मोहर्रम की दसवीं तारीख यौमे-आशुरा का दिन। उस अजीम शहादत की याद का दिन जिसे 72 लोगों के लश्कर ने अपने लहू से तपती रेत पर यजीदीयत की शिकस्त और इंसानियत के मुस्तकबिल में रोशनी लिख दी थी। बुधवार को अजादारों के हाथों में ताजिया। मातम करते हुए सदाओं में …या हुसैन… या हुसैन… के नारे लगाते हुए बढ़ते गए। हुसैन के चाहने वालों का हुजूम सड़कों पर नजर आया। शहर भर के ताजिये सुन्नी समुदाय के कर्बला बाकरगंज और शिया समुदाय के विभिन्न इलाकों से उठाकर स्वाले नगर स्थित कर्बला में सुपुर्द-ए-खाक किए गए। हजरत इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों की शहादत की याद में मोहर्रम की दसवीं यानी यौमे आशुरा पर ताजिए बड़ी ही रंजोगम के माहौल में उठाए गए। पुराने शहर से लेकर अन्य क्षेत्रों से शिया अंजुमनों के जुलूस स्वाले नगर स्थित कर्बला जाने वाले रास्ते में नौहाख्वानी के साथ जंजीर और मातम करते निकले। सुरक्षा की दृष्टि से चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात रहा। बाकरगंज में दसवें मोहर्रम पर मेला लगा। जिसमें शहर और गांव के लोग काफी तादाद में पहुंचे। उलेमा ने मोहर्रम और कर्बला के पहलुओं पर तकरीरे दीं। इसके बाद दुआ की गईं। ऑल इंडिया गुलदस्ता-ए-हैदरी के मीडिया प्रभारी शानू काजमी ने बताया कि इमामबाड़ा से अंजुमनों की अगुवाई में जुलूसे अलम बरामद हुआ। जुलूस अपनी कदीमी रास्तों से किला सब्जी मंडी और इमामबाड़े होता हुआ स्वाले नगर स्थित कर्बला पहुंचकर समाप्त हुआ। अंजुमने आगे पीछे नौहाख्वानी व सीना जरी करते हुए अजदारों ने मातम किया। कर्बला में ताजिए सुपुर्द-ए-खाक किए गए। शानू काजमी ने बताया कि मातम करते हुए अजादार जब कर्बला की ओर जा रहे थे उसी दौरान कई अन्य लोग भी जुलूस में शामिल हो गए। डीएम रविंद्र कुमार, एसएसपी अनुराग आर्य भी फोर्स के साथ शहर व देहात में जायजा लेते रहे। डीएम व एसएसपी ने कहा कि सोशल मीडिया पर अफवाहों पर ध्यान न दें। शहर में सुरक्षा अलर्ट रही।।
बरेली से कपिल यादव