बरेली। खरमास की समाप्ति के बाद मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत हो गयी थी। इसमे सनातन धर्मावलंबियों के शुभ कार्य मे शादी-विवाह, उपनयन, मुंडन, भूमि पूजन, गृहप्रवेश आदि हो रहा था। 28 अप्रैल को इस महीने का अंतिम लग्न-मुहूर्त है। इसके बाद दो मास मई व जून मे दो प्रमुख ग्रह के अस्त हो जाने से मांगलिक कार्यक्रम नही होंगे। आज अंतिम मुहूर्त के बाद ढाई महीने तक शादी के मुहूर्त नही हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार 28 अप्रैल को शुक्र ग्रह अस्त हो जाएंगे। शुक्र अस्त की अवधि सवा दो महीने की रहेगी। बता दे कि पांच जुलाई को शुक्र ग्रह उदय होंगे और इसी दौरान सात मई को गुरु ग्रह भी अस्त हो जाएगा। जो लगभग 26 दिन तक अस्त रहेगा। दो जून को गुरुदेव उदय होंगे। ज्योतिष के अनुसार गुरु शुक्र अस्त मे विवाह आदि मांगलिक कार्य पूर्णतया वर्जित माने गये हैं। इसलिए गुरु शुक्र अस्त्त के कारण किसी भी पंचांगों में मई -जून के विवाह मुहूर्त नही दिए गए है लेकिन अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त विवाह के लिए माना जाता है। जो 10 मई को है। ऐसे में अबूझ मुहूर्त चलते इस दिन विवाह अधिक संख्या मे होंगे। आगे नौ जुलाई से विवाह मुहूर्त शुरू होंगे। जो 15 जुलाई तक जारी रहेंगे। कुल मिलाकर जुलाई मे भी विवाह के कुल मुहूर्त छह रहेंगे। वही आगे विवाह मुहूर्त की बात करें तो 17 जुलाई को हरिशयनी एकादशी होगी। इस एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ हो जाता है। यानी चार महीनों तक विवाह आदि मांगलिक कार्यों के मुहूर्तों पर विराम लग जाता है। क्योंकि, भगवान विष्णु चातुर्मास के लिए शयन मुद्रा में चले जाते हैं। 12 नवंबर को देवोत्थानी एकादशी से विवाह मुहूर्त फिर से शुरू होंगे और लगातार 14 दिसंबर तक चलेंगे। जब कोई ग्रह कुछ विशेष अंशों के साथ सूर्य के निकट आ जाता है, तो उस ग्रह की चमक सूर्य के प्रकाश और तेज के सामने धीमी पड़ जाती है। इस कारण से वह आकाश में द्दष्टिगोचर नहीं होता तो उस ग्रह का अस्त होना कहलाता है।।
बरेली से कपिल यादव