बरेली। ब्रह्मपुरी में चल रहीं 164 वीं रामलीला में आज गुरु व्यास मुनेश्वर जी ने लीला से पूर्व वर्णन किया कि पक्षिराज जटायु के लिये जलांजलि दान कर के राम- लक्ष्मण दोनों सीता की खोज में दक्षिण दिशा की ओर चल पड़े। कुछ दूर आगे चल कर वे एक ऐसे वन में पहुँचे जो बहुत से वृक्षों, झाड़ियों एवं लता बेलों द्वारा घिरा हुआ था वहां उनका मुकाबला राक्षस कबंध से हुआ उसने ही रामजी को बताया कि आप यहाँ से पम्पा सरोवर चले जाइये। वहाँ ऋष्यमूक पर्वत पर वानरों का राजा सुग्रीव अपने वीर वानरों के साथ निवास करता है। उस को इस समय एक सच्चे पराक्रमी मित्र की आवश्यकता है। आपका मित्र बन जाने पर वह अपने वानरों को भेज कर सीता की खोज करा देगा। उसके बाद दोनों भाई कबन्ध के बताये अनुसार सुग्रीव से मिलने के उद्देश्य से ऋष्यमूक पर्वत पर पहुंचे, वहाँ उनकी पहले हनुमानजी जी से भेंट हुई फ़िर सुग्रीव से।
एहि बिधि सकल कथा समुझाई। लिए दुऔ जन पीठि चढ़ाई॥
सुग्रीव से मित्रता के बाद भगवान श्रीराम ने एक ही बाण से बाली का वध करके सुग्रीव को निर्भय कर दिया। बाली के मरने पर सुग्रीव किष्किन्धा के राजा बने और अंगद को युवराज पद मिला। तदनन्तर सुग्रीव ने असंख्य वानरों को सीता जी की खोज में भेजा। श्री हनुमानजी ने समुद्र लांघ कर सीता जी का पता लगाया। उन्होंने अशोक वाटिका उजाड़ दी, रावण पुत्र अक्षय कुमार का वध कर कई राक्षसों को मार दिया। तब मेघनाथ ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर उनको बंदी बना कर रावण के दरबार में पेश किया, जहां रावण ने दंड स्वरूप उनकी पूछ में आग लगवा दी। हनुमानजी उसी जलती पूछ से लंका जला कर लौट आये।
प्रवक्ता विशाल मेहरोत्रा ने बताया कि कल सेतु बंधन, समुद्र पार व अंगद रावण संवाद की लीला होगी। अध्यक्ष सर्वेश रस्तोगी ने रामलीला में सहयोग के लिए सभी पदाधिकारियों और रामभक्तों का आभार व्यक्त किया।
– बरेली से सचिन श्याम भारतीय