बरेली। नेकपुर स्थित सुविख्यात ललिता देवी मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में वृंदावन से पधारे कथाव्यास श्री कविचंद्र दास जी ने बताया कि भागवत कथा का श्रवण,जगत का सबसे बड़ा सत्कर्म है! इसी कथा के द्वारा देवऋषी नारद ने भक्तिदेवी के दो पुत्रों ज्ञान और वैराग्य को नवजीवन प्रदान किया था और प्रेत योनि से धुंधकारी की मुक्ति हुई थी!कथा सुनाने वाला विरक्त वैष्णव ब्राह्मण और निर्लोभी होना चाहिए!कथा का व्यापार करने वाले से कथा नहीं सुननी चाहिए!…उन्होंने चौबीस अवतारों का वर्णन करते हुए कहा, कि राम और कृष्ण अवतार नहीं,अवतारी हैं! अर्थात सारे अवतारों के स्रोत हैं!भगवद भक्ति में दो गुण होना अनिवार्य है — निष्कामता और अखंडता!अर्थात भगवान से कुछ मांगना नहीं चाहिए और भगवान का निरंतर सुमिरन करना चाहिए! सारे शास्त्र लिखने के बाद ही वेदव्यास जी ने भागवत महापुराण की रचना की थी!इसलिए सब शास्त्रों का निचोड़ भागवत कथा में निहित है! राजा परीक्षित जी के जीवन के सात दिन बचे थे,तो उन्होंने सातों दिन चौबीसों घंटे भागवत सुनी थी! हमारे पास तो सात मिनट की भी गारंटी नहीं है!इसलिए हमें तो और भी ध्यानपूर्वक भागवत कथा का मनन चिंतन करना चाहिए!… कथाव्यास ने बड़े सुमधुर भजन भी सुनाए,जिससे श्रोता भावविभोर हो गए! आज चतुर्थ दिवस की कथा में श्री कृष्ण जन्मोत्सव धूम धाम से मनाया जाएगा कथा आयोजन में त्रिवेणी मौर्य गोपाल मौर्य,आकाश रस्तोगी, शिवांश उपाध्याय,चंदन श्रीवास्तव, अमन सैनी, प्रवेंद्र पटेल, अशोक कुमार आदि उपस्थित रहे! कथा 20 तारीख तक प्रतिदिन दोपहर 2 से 6 बजे तक चलेगी।
– बरेली से सचिन श्याम भारतीय